लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव ने भाजपा सरकार पर कश्यप निषाद समाज की जातियों के साथ सामाजिक व राजनीतिक अन्याय का आरोप लगाते हुए कहा कि विधान सभा उप चुनाव में कश्यप निषाद समाज योगी सरकार के छल कपट व धोखा धड़ी का बदला चुकायेगा। योगी सरकार ने 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे पर शासनादेश 24 जून 2019 को जारी कर निषाद समाज के साथ बहुत बड़ा धोखापूर्ण राजनीति करते हुए अपने ही पार्टी के कार्यकर्ता गोरख प्रसाद द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्ड पीठ में याचिका योजित कराकर 17 सितम्बर 2019 को स्थगित करा दिया। इसमें भाजपा व योगी की साजिश रही है। निषाद ने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में 5 अप्रैल को महाराजा निषाद राज व महर्षि कश्यप की जयन्ती के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था जिसे मुख्यमंत्री के एक महीने के अन्दर ही योगी सरकार ने रद् कर दिया।
लोहिया आवास पैटर्न पर सपा सरकार ने मछुआ आवास योजना की धनराशि 3.05 लाख किया था। जिसे भाजपा सरकार ने समाप्त कर गरीब मछुआरा समाज की जातियों के साथ घोर सामाजिक अन्याय किया है। मत्स्य पालन, बालू, मौरंग खनन आदि निषाद मछुआरा समुदाय का परम्परागत पुश्तैनी पेशा रहा है। ई-टेण्डरिंग की व्यवस्था लागू कर योगी सरकार ने निषाद समाज से बालू मौरंग खनन पट्टा का अधिकार छीन कर सामन्ती पूंजीपतियों के हाथों निलाम कर पुश्तैनी पेशेवर जातियों को बेकारी की स्थिति में पहुॅचा दिया है। निषाद ने कहा कि 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने सरकारी सहायता प्राप्त किया व अनुदानिक मेडिकल, डेण्टल व इंजीनियरिंग कालेजों में अनुसूचित जातिध्जनजाति को 22.5 प्रतिशत व अन्य पिछडत्रे वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण कोटा दिया था। जिसे मुख्यमंत्री बनने के 15 दिन के अन्दर ही योगी सरकार ने रद् कर दिया। वर्तमान में पिछड़े-दलित वर्ग की शिक्षा बाधित करने के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति वितरण में सौतेला व्यवहार अपनाया जा रहा है। यहीं नहीं पूर्व सरकार द्वारा एस0सी0 व एस0टी0 वर्ग के विद्यार्थी का प्रवेश जीरो बैलेन्स पर किया जा रहा था। जिसे सबका साथ सबका विकास व सबका विश्वास की बात करने वाली भाजपा द्वारा खत्म कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी की सरकार ने 22 व 31 दिसम्बर 2016 को अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने का शासनादेश किया था। 17 अतिपिछड़ी निषाद, मल्लाह, केवट, मांझी, बिन्द, मछुआ, धीवर, धीमर, कहार, बाथम, रायकवार, गोड़िया, भर, राजभर, कुम्हार, प्रजापति आदि मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार, पासी, तड़माली व शिल्पकार की पर्यायवाची जातियां उपजातियां है।
राज्य सरकार अनुसूचित जाति की सूची का स्पष्टीकरण तो कर सकती है। विशेषीकृत द स्पेसिफिक नहीं कर सकती। अखिलेश यादव की सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल जातियों के साथ परिभाषित क्लियर फाइट किया था। योगी सरकार ने स्पेशिफाईड करने का शासनादेश जारी कर अनुच्छेद-341 का उल्लंघन कर दिया, जिसके कारण न्यायालय से स्टे हो गया। इसमें योगी सरकार की बड़ी साजिश रही है। निषाद समाज की जातियों की संख्या 12.91 प्रतिशत है। लेकिन इस समाज का राजनीतिक अपमान करते हुए भाजपा ने तीसरी बार चुनाव जीते जय प्रकाश निषाद को राज्यमंत्री बनाकर निषाद समाज का राजनीतिक अपमान किया है। विधान सभा उप चुनाव में निषाद समाज भाजपा से अपने सामाजिक व राजनीतिक अन्याय व अपमान का बदला चुकाने के लिए समाजवादी पार्टी को जिताने के अभियान में जुटेगा।