अशाेक यादव, लखनऊ। यूपी के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने मंगलवार को कोटे में कोटा की मुहिम को फिर हवा दी है। इसको लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। बलिया में आयोजित एक कार्यक्रम में मंगलवार को अनिल राजभर ने कहा कि पिछड़ा वर्ग को मिले 27 फीसदी आरक्षण को तीन भागों में बांटने की तैयारी हो रही है।
इसे पिछड़ा, अति पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा तीन भागों में बांटा जाएगा। अनिल राजभर यहां राजभर युवा संवाद कार्यक्रम को वह संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसद आरक्षण में से 67.56 फीसद तक का लाभ एक जाति विशेष को ही मिला है। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
योगी सरकार ने सरकारी नौकरियों में अति पिछड़ों और अति दलितों को कोटे में कोटा देने की बात सबसे पहले 2018 में की थी। यूपी में पिछड़ों की आबादी लगभग 47 प्रतिशत है इसमें भी 30 प्रतिशत अति पिछड़े यानी गैरयादव और गैरकुर्मी हैं।
माना जाता है कि कुर्मी तो बीजेपी के साथ हैं, लेकिन आरक्षण के नाम पर बीजेपी की कोशिश गैर यादव वोट बैंक को साधने की है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 22 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अति दलितों और अति पिछड़ों को अलग आरक्षण कोटा देने के लिए कमेटी गठित करने की घोषणा करते हुए कहा था कि कमेटी किन−किन मुद्दों पर विचार करेगी, यह तय होना अभी बाकी है।
2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने दलितों और पिछड़ों में हर जाति को उसकी संख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए हुकुम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट को विधान सभा में पारित भी कर दिया गया था।
बनाई गई सामाजिक न्याय सिमिति की रिपोर्ट के आधार पर दलितों को दो श्रेणियां में बांटा गया था। श्रेणी ‘ए’ में जाटव और धूसिया रखे गए थे और श्रेणी ‘बी’ में 65 अन्य दलित बिरादरी। श्रेणी ‘ए’ में रखी गईं जातियों को 10 प्रतिशत और श्रेणी ‘बी’ की दलित बिरादरियों को 11 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की गयी थी।
पिछड़ा वर्ग को तीन श्रेणियों में बांटा गया था। इनका कुल कोटा 27 प्रतिशत की बजाय 28 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई थी। श्रेणी ‘ए’ में यादव और अहीर रखे गए थे। इस श्रेणी के पिछड़ों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की गयी थी। श्रेणी ‘बी’ में जाट, कुर्मी, लोध व गूजर जैसी आठ पिछड़ी जातियों को रखा गया था और उन्हें नौ प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी।
श्रेणी ‘सी’ में 22 मुस्लिम पिछड़ी जातियों को मिलाते हुए कुल 70 अति पिछड़ी बिरादरियों को 14 प्रतिशत आरक्षण कोटा देने की बात कही गयी थी। रिपोर्ट में अनुसूचित जनजातियों यानी आदिवासियों को 0.06 प्रतिशत की बजाय दो प्रतिशत आरक्षण कोटा देने की सिफारिश की गयी थी। राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री अशोक यादव इसके खिलाफ कोर्ट चले गए थे। कोर्ट ने इस कमेटी की रिपोर्ट पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले हेमवती नंदन बहुगुणा के मुख्यमंत्रित्व काल में डॉ. छेदी लाल साथी की अध्यक्षता में सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग आयोग बना था। उसने प्रदेश के पिछड़ों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए उनके लिए अलग−अलग कोटा तय किया था मगर इस आयोग की सिफारिशें भी तमाम कोशिश के बावजूद लागू नहीं हो पायीं थी।