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योगिनी एकादशी व्रत करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से मुक्ति

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के लिए रखा जाने वाले महाव्रत को योगिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत इस बार 29 जून को पड़ रहा है। जिसे करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत को करने से न सिर्फ आम आदमी बल्कि यक्ष आदि भी पाप मुक्त हुए हैं। सभी व्रतों में श्रेष्ठ और भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली योगिनी एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन महाभारत काल में मिलता है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताते हुए एक कथा सुनाई थी। जिसके अनुसार एक बार हेममाली नामक यक्ष किसी गलती पर कुबेर ने श्राप दे दिया।

इसके बाद वह श्राप से मुक्ति पाने का उपाय जानने के लिए मार्कण्डेय ऋषि की शरण में पहुंचा। ऋषि ने उसे इस पाप से मुक्ति के लिए योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की आज्ञा से इस पावन व्रत किया और सभी पापों से मुक्त होकर बैकुंठ लोक को गया। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। साधक को इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए। इसके पश्चात् भगवान श्री विष्णु को वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य, ताम्बूल आदि समर्पित करके आरती उतारनी चाहिए।

जून
29 जून — योगिनी एकादशी
जुलाई
12 जुलाई — देवशयनी एकादशी
28 जुलाई — कामदा एकादशी
अगस्त
11 अगस्त — पवित्रा एकादशी
26 अगस्त — अजा एकादशी
सितंबर
09 सितंबर — पद्मा एकादशी
25 सितंबर — इंदिरा एकादशी
अक्टूबर
09 अक्टूबर — पापकुशा एकादशी
24 अक्टूबर — रमा एकादशी
नवंबर
08 नवंबर — देवप्रबोधिनी एकादशी
22 नवंबर — उत्पत्ति एकादशी
दिसंबर
08 दिसंबर — मोक्षदा एकादशी
22 दिसंबर — सफला एकादशी

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