अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मंद पड़ती कोविड संक्रमण की तीव्रता के परिणामस्वरूप पिछले एक पखवाड़े में सक्रिय मामलों में 52 फीसदी तक की कमी दर्ज की गयी है और इस दौरान पहली बार नये मामलों की संख्या दस हजार से कम हो गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में टीम-9 की कोविड प्रबंधन समीक्षा बैठक में यह आंकड़े प्रस्तुत किये गये जिसके अनुसार एक ओर जहां हर दिन ढाई से तीन लाख टेस्ट किए जा रहे हैं, वहीं नए कोविड केस में लगातार कमी आ रही है, साथ ही स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
बीते 30 अप्रैल को प्रदेश में तीन लाख 10 हजार एक्टिव कोविड केस थे, यह कोविड काल में अब तक का पीक था। इसके सापेक्ष महज एक पखवारे में एक्टिव कोविड केस में 52 फीसदी तक कमी आ गई है। वर्तमान में 1.49 लाख एक्टिव केस हैं जबकि 14 लाख 62 हजार प्रदेशवासी कोविड से लड़ाई में जीत प्राप्त कर ली है। श्री योगी ने बैठक में कहा कि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। बीते 24 घंटे में 02 लाख 55 हजार टेस्ट हुए, जबकि 9391 नए केस की पुष्टि हुई है।
इसी अवधि में 23,045 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेश मेें कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर अब 89.8 प्रतिशत हो गयी है। प्रदेश मेें अब तक चार करोड़ 49 लाख से अधिक टेस्टिंग हुई है। 97 हजार से अधिक राजस्व गांवों में पांच मई से टेस्टिंग का महाभियान चल रहा है। उन्होने कहा किविशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर का अनुमान किया है जिसके चलते प्रदेश को पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड तैयार किया जाए।
बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर और केजीएमयू लखनऊ के चिकित्सक इस संबंध में भली भांति प्रशिक्षित हैं। उनके अनुभवों का लाभ लेते हुए प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों के चिकित्सकों का प्रशिक्षण कराया जाए। अन्य जिलों में मुख्यालयों पर महिला अस्पतालों में इस प्रकार की व्यवस्था की जाए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री इस कार्य की सतत मॉनीटरिंग करेंगे। उन्होने कहा कि कोविड से स्वस्थ हुए लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने में आ रही है।
प्रदेश के कुछ जिलों में इसके केस मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि ब्लैक फंगस के हर मरीज को समुचित इलाज प्राप्त हो। ब्लैक फंगस रेयर बीमारी है। इसलिये इसके इलाज में उपयोगी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। केन्द्र सरकार भी इस कार्य में सहयोग कर रही है। हमें निजी स्तर से भी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए प्रबंध करने चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इन दवाओं की कालाबाजारी ना हो यह सुनिश्चित किया जाए।