लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने सीएम के खिलाफ 22 साल पुराना मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है. यह मुकदमा 27 मई, 1995 को गोरखपुर के पीपीगंज थाने में यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, मौजूदा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल समेत 13 लोगों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत दर्ज हुआ था. इसमें उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट का ऑर्डर भी हुआ था. योगी सरकार ने हाल ही में एक कानून बनाया है, जिसके तहत 20,000 राजनीतिक मुकदमे वापस लिए जाएंगे. योगी आदित्यनाथ पर गोरखपुर के पीपीगंज इलाके में धारा 144 तोड़कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का इल्जाम था. इस प्रदर्शन में उनके साथ मौजूदा केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल और गोरखपुर के सहजनवा से बीजेपी विधायक शीतल पांडे के भी शामिल होने का आरोप है. लेकिन सरकार यह मुकदमा अब वापस ले रही है.
मुंबई में इंवेस्टर्स मीटिंग के लिए पहुंचे योगी ने कहा था, ‘ये 20 हजार मुकदमे वे हैं जो अनावश्यक हैं. वर्षों से लंबित पड़े हुए हैं…सामान्य हैं…107/16 से जुड़े जो मुकदमे हैं उन सभी मामलों को हमलोग वापस लेने जा रहे हैं.’