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यूपीः स्टूडेंट पुलिस कैडेट कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर कटघरे में योगी सरकार

लखनऊ। देश में छात्रों को बुनियादी कानून और पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देने के लिए पिछले साल जुलाई महीने में जोर-शोर से शुरू किया गया मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के नाकारा अधिकारियों के निकम्मेपन की भेंट चढ़ गया है आलम ये है कि केंद्र सरकार से करोड़ों रुपये मिलने के बाबजूद कार्यक्रम के क्रियान्वयन से जुड़े यूपी के अधिकारियों ने मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अब तक कोई भी जमीनी कार्यवाही नहीं की है, चौकाने वाला यह खुलासा सूबे के नामचीन आरटीआई कंसल्टेंट और मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर सूबे के पुलिस महानिदेशक कार्यालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा बीती 6 मार्च को पत्र जारी करके दिये गए जबाब से हुआ है,

संजय को दी गई सूचना से सामने आ रहा है कि बच्चों एवं नवयुवकों में ड्रग एब्यूज, बाल यौनाचार तथा अन्य गंभीर अपराध एवं बुराइयों के प्रति किशोर अवस्था के विध्यार्थियों में जागरूकता पैदा कर इनकी रोकथाम करने तथा छात्र-छात्राओं को सुरक्षा और शांति के प्रति जागरूक कर उनमें आत्मबल पैदा करने के उद्देश्य से यूपी में शुरू किए गए स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) कार्यक्रम को योगी के मतलबपरस्त और खुदगर्ज अधिकारियों ने मात्र सरकारी टूरों की मौजमस्ती और पद लेकर उसका प्रयोग सस्ती लोकप्रियता लेने तक ही सीमित रखा और कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की यह दुर्दशा तब है जबकि इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की कमान सूबे के डीजीपी के हाथ में है,

कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित है और कार्यक्रम के संचालन के लिए आईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पिछले साल के अप्रैल महीने से इस परियोजना के नोडल अधिकारी नामित हैं,समाजसेवी संजय शर्मा को उपनिरीक्षक गोपनीय प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का जो पत्र भेजा है उसके अनुसार केंद्र सरकार ने साल 2017 में ही इस परियोजना के लिए करोड़ों के बजट का आबंटन किया था लेकिन नोडल ऑफिसर बनने के बाद से अब तक अमिताभ ठाकुर ने अपने स्तर से कोई भी बैठक आहूत नहीं की है, प्रदीप ने संजय को यह भी बताया है कि अभी तक न तो इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन का मोड्यूल ही तैयार हो पाया है और न ही इस कार्यक्रम के नीति-नियंताओं ने कार्यक्रम के क्रियान्वयन का कोई लक्ष्य ही निर्धारित किया है, प्रदीप के पत्र के अनुसार जिम्मेदार लोकसेवकों की कार्यवाही उत्तर प्रदेश शासन के मध्यमिक शिक्षा और बेसिक शिक्षा विभाग से विध्यालयों की सूची मांगने मात्र तक सीमित रही है और अध्यतन सूचना के अनुसार ये सूचियाँ अभी तक अप्राप्त हैं,

संजय कहते हैं कि इसका मतलब यह है कि इस परियोजना के क्रियान्वयन का परिणाम निल बटा सन्नाटा है। संजय बताते हैं कि प्रदीप के उनको बताया है कि अमिताभ ठाकुर को इस कार्यक्रम का नोडल ऑफिसर बनाने का आदेश पुलिस महानिदेशक ओ॰ पी॰ सिंह ने बीते साल के अक्तूबर महीने में जारी किया है जबकि अमिताभ ठाकुर को इस कार्यक्रम का नोडल ऑफिसर बनाए जाने की खबरों का प्रकाशन पुलिस महानिदेशक ओ॰ पी॰ सिंह द्वारा आदेश जारी करने के 6 महीने पहले बीते साल के अप्रैल महीने में ही हो चुका था, संजय ने बताया कि वे पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इस संबंध में तथ्यपरक जांच कराकर दंडात्मक कार्यवाही की मांग कर रहे हैं स सीएम योगी को पत्र लिखकर मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) कार्यक्रम को पलीता लगाने वाले सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित करके दंडित करने की मांग उठाने की बात भी संजय ने कही है।

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