नई दिल्ली / लखनऊ : राहुल गांधी ने ‘ग्रामोफोन’ (Gramophone) से अपनी तुलना करने पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए एक वीडियो पोस्ट किया. वीडियो में मोदी को अपने भाषणों में गांधी परिवार के सदस्यों का बार-बार संदर्भ देते हुए देखा और सुना जा सकता है. भाजपा नेताओं के साथ अक्टूबर में वीडियो संवाद के दौरान पीएम मोदी ने राहुल गांधी का मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा था कि वह एक ही बात को उसी तरह दोहराते हैं मानो ग्रामोफोन की पिन अटक गई है. लेकिन लोग सरकार के खिलाफ उनके ‘बचकाने’ दावों और ‘झूठ’ को स्वीकार नहीं करेंगे. लोगों को उनके बयानों का ‘मजा’ लेना चाहिए.
मोदी के बयानों का एक वीडियो पोस्ट करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘यह मनोरंजक वीडियो श्री ’36 द्वारा’ प्रस्तुत किया गया है. मुझे आशा है कि आप इसे देखकर आनंद लेंगे. कृपया इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वे भी इसका आनंद उठा सकें.’
भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत के दौरान वह कहते हैं, ‘पहले ग्रामोफोन रिकॉर्ड हुआ करता था. कभी वह अटक जाता था और एक ही शब्द बार-बार सुनाई देता था. कुछ लोग इसी तरह के हैं. उनके दिमाग में एक बात घर कर जाती है और वह उसे ही दोहराते रहते हैं.’
जवाब में राहुल गांधी ने मोदी के भाषणों का एक विडियो पोस्ट किया, जिसमें वह गांधी परिवार के सदस्यों का बार-बार संदर्भ देते हुए नजर आ रहे है. प्रधानमंत्री विभिन्न स्थानों पर जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का जिक्र करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
एक दिन पहले भी राहुल ने सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया था, एक सच्चे सिपाही की तरह बात करने वाले जनरल, भारत को आपके उपर गर्व है. ‘मिस्टर 36’ को देश की सेना को अपने निजी ‘एसेट’ की तरह इस्तेमाल करने पर शर्म नहीं आती है. उन्होने सर्जिकल स्ट्राइक का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया और राफेल डील का इस्तेमाल अनिल अंबानी की निजी संपत्ति को 30000 करोड़ बढ़ाने के लिए. बता दें कि ‘मिस्टर 36′ शब्द का प्रयोग राहुल गांधी ने पीएम मोदी के ’56 इंच सीने’ का मज़ाक बनाते हुए किया.
सर्जिकल स्ट्राइक पर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) द्वारा बयान दिए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम पर हमला बोला था. डीएस हुड्डा ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता पर शुरुआती उत्साह स्वाभाविक था मगर इसका जरूरत से ज्यादा प्रचार किया गया, जो अनुचित था. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) को जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया. सेना का ऑपरेशन जरूरी था और हमें यह करना था. अब इसका कितना राजनीतिकरण होना चाहिए, वह सही है या गलत, यह ऐसा सवाल है, जो राजनेताओं से पूछा जाना चाहिए. बता दें कि जब 29 सितंबर, 2016 को नियंत्रण रेखा (एलओसी) में सर्जिकल स्ट्राइक किया गया था, तब लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) उत्तरी सेना के कमांडर थे.