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यह एक अभूतपूर्व घटना है, जिसमें बहुत से चुने हुए विधायकों को थोक भाव से अयोग्य करार दे दिया गया : शिवसेना

मुंबई: शिवसेना ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने में  में ‘जल्दबाजी’ को लेकर सवाल उठाए. शिवसेना ने कहा, ‘यह एक अभूतपूर्व घटना है, जिसमें बहुत से चुने हुए विधायकों को थोक भाव से अयोग्य करार दे दिया गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संकट का सामना कर रहे हैं और यह भ्रष्टाचार व अन्याय के खिलाफ सार्वजनिक अभियान के कारण है.’शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में कहा कि यहां तक कि मामले का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संज्ञान लिया और निर्वाचन आयोग (ईसी) की सिफारिशों पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी. संपादकीय में कहा गया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में भी इसी तरह की शिकायतें थीं. यहां तक कि अभी भी कई राज्यों में हैं, लेकिन उनके पद बने हुए हैं.

संपादकीय में कहा गया है कि आप के 20 विधायकों के मामले में ईसी ने जल्दबाजी से कार्य किया और विधायकों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया. इस तरह की राय पूर्व ईसी अधिकारियों की भी है कि निर्वाचन आयोग ने मामले में जल्दबाजी की है. शिवसेना ने कहा, ‘ईसी ने विधायकों के खिलाफ शिकायत के मामले पर अपना आदेश बिना मामले की सुनवाई के या आप के 20 निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपना पक्ष रखने का मौका रखे बगैर दिया है. यह गलत है.’

संपादकीय में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल व दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के बीच चल रही जंग का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि उप राज्यपाल, केजरीवाल व ‘आप’ सरकार की राह में बाधा पैदा करने का ‘एक भी मौका’ नहीं छोड़ते. शिवसेना ने कहा है, ‘अगर केजरीवाल की जगह कोई भाजपा का मुख्यमंत्री होता तो क्या उप राज्यपाल इस तरह से काम करने की हिम्मत दिखाते? क्या वह ईसी को 20 विधायकों को पक्ष रखे बगैर बाहर का रास्ता दिखाने को कह पाते? केंद्र से अधिक उपराज्यपाल भाजपा के एजेंट की तरह काम करते दिख रहे हैं.’

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