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मोदी सरकार ने चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च और कर्ज यानी उधारी छिपाने का काम किया है : कैग

नई दिल्ली / लखनऊ : कैग ने नरेंद्र मोदी सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्ज और कर्ज यानी उधारी छिपाने का काम किया है. इस धनराशि का जिक्र बजट के दस्तावेजों में नहीं है. माना जा रहा है कि राजकोषी घाटे के आंकडे दुरुस्त रखने के लिए सरकार ने ऑफ बजट फाइनेंसिंग (Off-budget financing) की तरकीब का इस्तेमाल किया. खाद्यान्य और उर्वरकों पर सब्सिडी सहित अन्य तमाम खर्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार ने बजट से बाहर दूसरे सोर्स से पैसे की व्यवस्था की. ताकि बजट के लेखे-जखे में उधारी न दिखे, इसके लिए उपभोक्ता मामलों , रेल और ऊर्जा मंत्रालय में ऑफ बजट फाइनेंसिंग सिस्टम अपनाया गया. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसको  लेकर मोदी सरकार की जबर्दस्त खिंचाई की है.

कैग ने कहा है कि ऐसे खर्चों का जिक्र बजट में होना चाहिए. क्योंकि ऑफ बजट फाइनेंसिंग (Off-budget financing) से जुड़े खर्च संसद के नियंत्रण के बाहर होते हैं. जिस पर कोई चर्चा नहीं होती. वहीं बकाए के हर साल बढ़ने के चलते सरकार को अधिक ब्याज के रूप में सब्सिडी पर ज्यादा खर्च झेलना पड़ता है. वहीं, जब सार्वजनिक उपक्रम लोन चुकता करने में विफल होते हैं तो आखिर में देनदारी सरकार के सिर पर ही आती है. कैग ने कहा है कि डिस्क्लोजर स्टेटमेंट के जरिए ऑफ बजट फाइनेंसिंग की धनराशियों का खुलासा होना चाहिए. इसकी बड़े पैमाने पर समीक्षा की जरूरत है. इस बारे में जवाब तलब करने पर संबंधित मंत्रालयों ने  जुलाई, 2018 में बताया कि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को स्वायत्ता है. उनकी उधारी स्वतंत्र व्यापार उपक्रमों के लिए होती है. जहां सरकारी समर्थन सिर्फ एक बेहतर ब्याज दर प्राप्त करने में मदद करता है. ऑफ बजट वित्तीय व्यवस्था एफसीआई की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए है, जो बैकिंग स्त्रोतों से स्वतंत्र रूप से मिल रहा है.

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