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मोदी की पटना रैली से पहले सामाजिक कार्यकर्ता उदयन की गिरफ्तारी राजनीतिक: रिहाई मंच

लखनऊ। रिहाई मंच ने देवबंद के बाद पटना से सामाजिक कार्यकर्ता उदयन राय की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए इसे राजनीतिक कार्रवाई करार दिया। रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कश्मीरियों पर हो रहे हमलों के खिलाफ 22 फरवरी को सुनवाई से ठीक पहले की रात देवबंद में छापा तो वहीं अब मोदी की पटना रैली से पहले उदयन राय की गिरफ्तारी के राजनीतिक निहितार्थ हैं। देवबंद से कश्मीरी युवकों को उठाकर कश्मीरियों पर हो रहे हमलों को सही ठहराने की कोशिश की गई तो वहीं मोदी की रैली से पहले सामाजिक कार्यकर्ता की गिरफ्तारी कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता उदयन राय के लापता होने के बाद सवाल उठा तो गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया।

मीडिया माध्यमों से यह बात सामने आई है कि यदुवंशी विकास एकता मंच के वाट्सअप ग्रुप पर किसी मैसेज को लेकर यह कार्रवाई की गई है। सवाल है कि आखिर किस आधार पर उदयन को दो दिनों की अवैध हिरासत में रखा गया। जबकि उदयन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर सभी थानों को वायरलेस से सूचना भी हुई थी। ऐसे में जब पुलिस कह रही है कि उनके खिलाफ इससे पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी थी तो आखिर क्यों और किस आधार पर उन्हें दो दिनों तक गुमशुदा रखकर 27 को जेल भेजा। यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन ही नहीं उसके खिलाफ षडयंत्र भी है। पुलिस हिरासत में उदयन के उत्पीड़न का मामला भी सामने आ रहा है।

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दिनों देवबंद से रात में छापा मारकर कई छात्रों को यूपी एटीएस ने उठाने के बाद दो कश्मीरी युवकों को जैश-ए-मोहम्मद का बताया। सुप्रीम कोर्ट में कश्मीरियों पर हो रहे हमले को लेकर होने वाली सुनवाई से ठीक पहले रात में डीजीपी ओपी सिंह के निर्देशन में यूपीएटीएस की इस गिरफ्तारी पर सवाल उठते हैं। कश्मीरी युवकों के परिवार और साउथ कश्मीर पुलिस ने उनके जैश-ए-मोहम्मद से संबन्ध के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है। यूपी डीजीपी कार्यालय में कश्मीरी युवकों को पेशकर आतंकी हमलों और उनके द्वारा भर्ती अभियान की बात कहते हुए और गिरफ्तारी किये जाने का माहौल बनाया जा रहा है।

वहीं कुलगाम और पुलवामा की पुलिस और सीआईडी के अधिकारियों के मीडिया में बयान आ रहे हैं कि दोनों युवकों के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है और उनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं रहा है। देवबंद से उठाए जाने के बाद भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा देवबंद समेत तमाम मदरसों की तलाशी और उन्हें बंद किए जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन करना साफ करता है कि इस घटना की आड़ में संघ अपने मुस्लिम विरोधी एजेंडे पर काम कर रहा है। मदरसों के खिलाफ संघ के राजनीतिक षडयंत्र का एटीएस टूल बन गई है। सत्ताधारी दल और संघ के कार्यकर्ता लगातार मुसलमानों और कश्मीरियों के खिलाफ उत्तेजक नारे लगाते हुए प्रदर्शन कर कश्मीरियों पर हिंसक हमले का माहौल बना जा रहा है। दूसरी तरफ सीआरपीएफ की ओर से अपने जवानों की शहादत के बावजूद कश्मीरी छात्रों पर हमले न करने की अपील करते हुए हेल्पलाइन नम्बर जारी किए गए।

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