अशाेक यादव, लखनऊ। तहजीब के लिए मशहूर राजधानी में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। यहां नौ विधानसभा सीटों पर चुनावी समर को लेकर गोलबंदी शुरू हो गई है। सत्ताधारी दल भाजपा सभी सीटों पर भगवा लहराने की पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं सपा अपने पुराने नतीजों को दोहराने के लिए संघर्षरत है। वर्तमान में भाजपा आठ और सपा एक सीट पर काबिज है जबकि 2012 की बात की जाय तो भाजपा के पास एक, सपा छह और कांग्रेस एक सीट पर रही।
फिलहाल कांग्रेस को बढ़ाने के लिए भले प्रियंका गांधी लगी है लेकिन अभी शहर में मतदाताओं के बीच ऐसा माहौल बनता नहीं दिख रहा इसलिए यहां मुकाबला सीधे-सीधे सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच हो रहा है। 2017 के चुनाव में लखनऊ की सीटों पर भाजपा के पास पूर्व, मध्य, कैंट, मलिहाबाद, सरोजनी नगर, पश्चिम, उत्तरी सीट पर अपना परचम लहराया था जबकि सपा मोहनलालगंज सीट पर जीती थी।
वहीं, 2012 में समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनाई थी और लखनऊ की नौ सीटों पर चुनाव हुआ था। इसमें सपा लहर ने कमाल दिखाया था। राजधानी में सपा को सात, भाजपा को एक और कांग्रेस को एक सीट मिल पायी थी। जबकि 2007 में बसपा की सरकार आने के बाद भी उन्हें लखनऊ में केवल दो सीटें मिल पायी थी। इसमें भाजपा चार, सपा एक और निर्दलीय के खाते में एक सीट ली है।
2017 में भगवा का रहा जोर
2017 के विधानसभा चुनाव में राजधानी की नौ में से आठ सीटों पर भगवा लहराया जबकि एक सीट सपा के खाते में गई थी। इसमें भाजपा लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन, मध्य से बृजेश पाठक, कैंट से रीता बहुगुणा जोशी, बक्शी का तालाब से अविनाश त्रिवेदी, मलिहाबाद से जय देवी, सरोजनी नगर से स्वाति सिंह, पश्चिम से सुरेश श्रीवास्तव, उत्तरी से नीरज बोरा और मोहनलालगंज से सपा के अम्बरीश सिंह पुष्कर ने जीत दर्ज कराई थी। हालांकि इस समय पश्चिम की सीट सुरेश श्रीवास्तव के निधन के बाद से खाली चल रही है। जबकि कैंट सीट पर रीता जोशी के सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव में भाजपा के ही सुरेश चंद्र तिवारी ने जीत हासिल की थी।
2012 में राजधानी में जमकर दौड़ी साइकिल
प्रदेश में 2012 में सपा सरकार बनी। इसमें सपा की हनक राजधानी की सीटों पर भी दिखा। यहां की नौ में से सात सीटों पर अपनी साइकिल काबिज होने में सफल रही। जबकि भाजपा के खाते में एक और कांग्रेस के पास एक सीट गई थी। इसमें सपा से लखनऊ मध्य से रविदास मेहरोत्रा, बक्शी का तालाब से गोमती यादव, मलिहाबाद से इंदल कुमार, सरोजनी नगर से शरद प्रताप शुक्ला, पश्चिम मोहम्मद रेहान, मोहनलालगंज से चंद्रा रावत, उत्तरी से डॉ. अभिषेक मिश्रा और कैंट सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार के तौर पर रीता बहुगुणा जोशी ने जीत दर्ज कराई थी। जबकि पूर्व सीट पर चुनाव में भाजपा से कलराज मिश्र ने दर्ज कराई और 2014 के उपचुनाव में इस सीट पर भाजपा का ही दबदबा रहा। उपचुनाव में आशुतोष टंडन को जीत मिली थी।
2007 में बसपा सरकार में हाथी रहा सुस्त
राज्य में 2007 भले ही बसपा की सरकार आयी थी, फिर भी राजधानी में हाथी की रफ्तार सुस्त ही थी। इस दौर में भी बसपा राजधानी आठ में से सिर्फ दो सीटें पाई थी। जबकि विपक्षी पार्टी के तौर पर भाजपा को चार सीटें मिली थी और सपा व निर्दलीय को एक-एक सीट पर संतोष करना पड़ा था।
भाजपा से लखनऊ की पूर्व सीट पर विद्यासागर गुप्ता, मध्य से सुरेश कुमार श्रीवास्तव, पश्चिम से लालजी टंडन, कैंट से सुरेश चंद्र तिवारी को जीत मिली थी जबकि मलिहाबाद से सपा के गौरी शंकर और मोहनलालगंज सीट पर निर्दलीय आरके चौधरी ने बाजी मारी थी। वहीं बसपा से महोना से नकुल दुबे और सरोजनी नगर सीट से मोहम्मद इरशाद खान ने जीत हासिल की थी। हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में मलिहाबाद सीट से सपा के गौरी शंकर के बेटे सिद्धार्थ शंकर ने बसपा से चुनाव लड़ा और यह सीट बसपा के खाते में आ गई थी।
2012 के चुनाव में बढ़ी एक सीट पर बनी चुनौती
राजधानी में लोकसभा के चुनाव पर परिसीमन हुआ, जिसमें राजधानी में एक सीट बढ़ाई गई, जिस लखनऊ उत्तरी का नाम दिया गया। इससे पहले यहां पर आठ सीट हुआ करती थी। उत्तरी सीट में दो चुनावों में अलग-अलग दल के खाते में सीट गई। 2012 के चुनाव में यह सीट सपा से अभिषेक मिश्रा ने जीत हासिल करने में सफल रहे थे लेकिन 2017 के चुनाव में इस सीट पर डॉ. नीरज बोरा ने कब्जा जमाया।
हर सीट पर मंथन जारी
2022 के चुनाव को लेकर भाजपा और सपा दोनों ही जमकर मंथन कर रही है। भाजपा राजधानी की नौ सीटों पर कब्जा जमाने में लगी तो सपा अपने को स्थापित करने में जुटी। सरकार भले ही भाजपा की हो लेकिन सपा अब राजधानी की हर सीट को लेकर काफी सजग हो चुकी है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में हर सीट पर जीत किसकी, इसका पूर्वानुमान करना भी दूर की कौड़ी साबित होगी।