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अभी तक बीज के दाम तय नहीं कर पायी है जश्न में डूबी सरकार सरकार: जीतू पटवारी

अनुपूरक न्यूज एजेंसी, इंदौर। जीतू पटवारी ने मुख्य मंत्री शिवराज को पत्र लिखकर बीजों के दाम तक न हो पाने के लिए पत्र लिख कर चिंता व्यक्त की है। जीतू पटवारी ने पत्र में कहा है कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले मध्यप्रदेश के किसान एक बार फिर आने वाले संकट को लेकर चिंतित हो रहे हैं । मानसून दस्तक देने वाला है , किसान सोयाबीन बोवनी की तैयारियों में जुटे हुए हैं , लेकिन आपकी सरकार ने अभी तक बीज के दाम तय नहीं किए है । सोसायटियों पर उपलब्ध सुपरफास्फेट के दाम भी शासन स्तर पर अभी तक घोषित नहीं हो पाए हैं , इससे किसानों के सामने फिर दुविधा की स्थिति खड़ी हो गई है । चूंकि , हर साल की तरह इस बार भी आपका सरकारी सिस्टम सो रहा है , इसलिए खाद और बीज की कालाबाजारी भी अभी से शुरू हो गई है । निजी कंपनियों ने बीज बाजार में उतार दिए हैं , उसे मनमाने दामों में बेचा भी जा रहा है । यदि आपकी स्मृति चैतन्य है तो आपको याद होगा कि पिछले वर्ष आपकी सरकार ने सोयाबीन बीज के दाम करीब 7500 प्रति क्विटल तय किए थे , लेकिन निजी कंपनियों ने 10.000 से 11,500 / – रुपए प्रति क्विटल की दाम पर बीज बेचे थे । आपकी सरकार चाहे जो तर्क दे , लेकिन मेरे किसान भाई अब यह मान चुके हैं कि भाजपा सरकार पिछले दरवाजे से बार – बार बिचौलियों और बाजार को मदद कर रही है। जश्न में डूबी सरकार यदि अपनी ही सरकारी फाइलों की धूल हटाकर पढ़ने की कोशिश करेगी तो उन्हें प्रामाणिक तौर पर यह दर्ज मिलेगा कि इस बार बीज निगम के सैंपल फेल हो गए और सहकारी बीज उत्पादक संस्थाओं के पास भी बीज नहीं हैं । ऐसे में किसानों की निर्भरता फिर निजी कंपनियों और बाजार पर बढ़ गई है । जब निगम के बीज फेल होने की सूचना शासन को दी गई , उसी समय इस संकट से बाहर निकलने के लिए प्रयास होने चाहिए थे । लेकिन आपके स्तर से कोई निर्णय नहीं हो पाया ! क्या आपकी सरकार मेरे मध्य प्रदेश के किसानों से पिछली चुनावी हार का बदला ले रही है ? मध्यप्रदेश के किसान सरकार से यह अपेक्षा कर रहे हैं कि खाद – बीज के दामों को लेकर निर्णय हो और सरकार सस्ते दामों पर बीज उपलब्ध करवाने का सार्थक प्रयास भी करे । मुख्यमंत्रीजी , आप खुद को किसानों का बड़ा हितैषी बताते हैं , इसलिए यह भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि खेती की लागत लगातार बढ़ रही है , किसान निजी कंपनियों के चंगुल से निकल नहीं पा रहा है , सरकार केवल व्यवस्था सुधारने का झूठा वादा कर रही है । विनम्र प्रार्थना है कि किसानों की तात्कालिक मांगों को प्राथमिकता और गंभीरता से समझने की कृपा करें , ताकि समय रहते किसान भाई आपको बेहतर परिणाम देने के लिए इस साल भी सार्थक परिश्रम कर सकें।

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