नयी दिल्ली : गोरखपुर बीआरडी मेडिकल में हुए हादसे को लेकर भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया हो लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसको गंभीर प्रकरण मानते हुए सोमवार को यूपी सरकार को नोटिस भेजकर पूरे मामले की बिंदुवार जानकारी चार हफ़्तों में मांगी है। आयोग ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव से पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
दरअसल मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में चल रही ख़बरों को लेकर ही इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। मानवाधिकार ने यूपी सरकार के मुख्यसचिव से बिंदुवार रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है जिसमें बताना होगा कि ये हादसा कब और किन कारणों से हुआ , कितने बच्चों की मौत हुई? पीड़ित परिवारों के राहत और पुनर्वास के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए? इसके अलावा मामले में दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? उत्तर प्रदेश सरकार को इस नोटिस पर जवाब के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है.
कमीशन का कहना है कि सरकारी अस्पताल में इतनी बड़ी संख्या में मौतें गंभीर मामला है. ये निर्दोष पीड़ितों के जीने के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार का खुला उल्लंघन है. साथ ही ये अस्पताल प्रशासन और सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य व स्वास्थ्य विभाग की गंभीर उदासीनता को भी दर्शाता है. इससे पहले भी कई अस्पतालों में जापानी इन्सेफलाइटिस से मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं.
कमीशन के अनुसार पिछले दिनों 9 से 11 अगस्त तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लखनऊ में सुनवाई कैंप के दौरान भी जापानी इन्सेफलाइटिस को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव वह अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की गई थी. लेकिन उत्तर प्रदेश शासन से इस संबंध में आश्वासन मिलने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.