महिलाएं काम में इतना बिजी हो जाती है कि अपनी सेहत का भी ख्याल नहीं रहता, जिसका परिणाम उन्हें बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ता है। कैंसर, डायबिटीज के साथ ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियां टूटना (अस्थि घनत्व) महिलाओं को होने वाली उन्हीं बीमारियों में से है। भारतीय महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी की समस्या अधिक देखने को मिलती है, जिसका सबसे बड़ा कारण उनके द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही ही है।
कम उम्र में हड्डियों की कमजोरी
आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि ये बीमारियां बड़ी उम्र में ही होती है लेकिन आजकल 20-30 साल में ही महिलाओं में यह समस्याए देखने को मिल रही है। दरअ, आजकल महिलाएं घर खा भोजन खाने की बजाए जंक फूड्स, फास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स और हाई फैट फूड्स का सेवन अधिक कर रही हैं, जो उनकी हड्डियों को कमजोर करके ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका बढ़ा देते हैं।मेनोपॉज के बाद बढ़ जाता है खतरा
मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं के शरीर में ऑस्ट्रोजन का स्तर गिर जाता है, जिसके कारण अस्थियां कमजोर होने लगती हैं। वहीं, जिन महिलाओं में अस्थियों का घनत्व तेजी से कम होता है, उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अधिक होता है। मेनोपॉज शुरू हो आप उससे पहले ही अपनी हड्डियों का खयाल रखना शुरू कर दें। इससे आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका कम होगी।
लड़कियां कर सकती हैं अस्थि घनत्व को कंट्रोल
हड्डियां कमजोर होने की समस्या ज्यादातर 45-50 उम्र की महिलाओं में दिखाई देती है। हालांकि आजकल लड़कियां 30 की उम्र के बाद भी इसका शिकार हो रही हैं। मगर आप सही लाफस्टाइल को अपनाकर इसके खतरे को कम कर सकती हैं। इसके लिए सही डाइट के साथ व्यायाम, ब्रेकफास्ट करना, ज्यादा देर एक ही सीट पर ना बैठना जैसी अच्छी आदतों को अपनाएं।
30 की उम्र के बाद जरूरी है जांच
30-35 की उम्र के बाद या मेनोपॉज की स्थिति के बाद महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस व बोन डेंसिटी टेस्टिंग करवाते रहना चाहिए। वहीं युवा लड़कियों को इसकी जांच करवाने की सलाह तब दी जाती है जब उनकी हड्डियां आसानी से टूटने लगे। बोन डेंसिटी टेस्ट डीएक्सए मशीन पर किया जाता है लेकिन जांच इस आधार पर की जाती है कि आप कोई दवाई तो नहीं ले रहीं।
एस्ट्रोजन थेरेपी से करे इलाज
महिलाओं को इस स्थिति में एस्ट्रोजन थेरेपी यानी ET करवाने की सलाह दी जाती है लेकिन कई बार ऑस्ट्रोजन को प्रोगेस्टेरॉन हॉर्मोन थेरेपी यानी एचटी के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। यह थेरेपी मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल करके हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाती है।
मजबूत हड्डियों के लिए डाइट
अंडे
प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर अंडे का सेवन भी हड्डियों का मजबूत बनाता है। आप ब्रेकफास्ट मं उबला अंडा या ऑमलेट शामिल कर सकते हैं।
दूध
ब्रेकफास्ट में दूध जरूर लें। इसमें कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
नट्स
बादाम और मूंगफली, अखरोट में कैल्शियम, प्रोटीन के साथ ओमेगा -3 फैटी एसिड भी होता है, जो बोन डेंसटी को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत करता है।
हरी सब्जियां
अपनी डाइट में पालक, मेथी, गोभी और ब्रोकली जैसी हरे पत्तेदार सब्जियां जरूरत शामिल करें। यह शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करके हड्डियों को मजबूत बनाएगी।
महिलाओं में बढ़ रही हड्डियों से जुड़ी बीमारी, इस में जरूर करवाएं ये जांच
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