देश में महंगाई बढ़ना कुछ मामलों में अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत भी माना जा रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 19 महीने बाद जनवरी में यह पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई शहरी क्षेत्रों के मुकाबले तेजी से बढ़ी।
आर्थिक जानकार इसे सकारात्मक बता रहे हैं, क्योंकि यह मांग बढ़ने का संकेत है, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों कमजोर मांग की समस्या से जूझ रही है।
जनवरी में खुदरा कीमतों के हिसाब सेमहंगाई दर बढ़कर 7.59 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले करीब छह वर्षों का उधातम स्तर है। दरअसल, देश की दो तिहाई आबादी ग्रामीण इलाकों से हो रही कमाई पर निर्भर है और 2.8 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्थ्घा में खेती का योगदान 15 फीसदी है।
महंगाई दर बढ़ने का एक मतलब यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मांग और खर्च में तेजी आई है। एलएंडटी फाइनेंशियल होल्डिंग के मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेग का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मांग में तेजी के संकेत सकारात्मक हैं।
जनवरी के दौरान ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 7.73 फीसदी रही, जो शहरी महंगाई दर 7.39 फीसदी से ज्यादा है। जून 2018 के बाद पहली बार ग्रामीण महंगाई दर शहरों के मुकाबले ज्याद रही।
भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर कहा जा रहा है कि एक तरफ महंगाई दर कई वर्षों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, और दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था की वृद्घिदर 11 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।
ऐसी स्थिति को स्टैगफ्लेशन (मुद्रास्फीतिजनित मंदी) कहा जाता है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर का लक्ष्य 2-6 फीसदी के बीच रखा है। वह चाहता है कि यह 4 फीसदी के आसपास रहे।