नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल यहाँ उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी जनसभा में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को लेकर बी.एस.पी. के ऊपर जो टीका-टिप्पणी की है तोे मैं इस सम्बन्ध में उनको यह बताना चाहती हूँ कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर, बीजेपी, कांग्रेस व अन्य विरोधी पार्टियों के लिए भी यह वोट की राजनीति व स्वार्थ आदि हो सकते हैं, किन्तु बी.एस.पी. के लिए वे आत्मा के समान हैं। वे हमारे दिल-दिमाग में रचे-बसे हैं। बी.एस.पी. वैसे भी बीजेपी की तरह राम नाम जपना, जनता को ठगना जैसी यह घिनौनी राजनीति कभी भी नहीं करती है, यह पूरा देश जानता है।
इसके साथ ही, बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी से पहले यह उनका एक सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का मूवमेन्ट भी है। इसलिए बी.एस.पी. का जन्म भी बाबा साहेब के जन्मदिन पर उनके अधूरे पड़े उस कारवाँ को मंज़िल तक पहुँचाने के लिए किया गया है जिसे पहले जातिवादी मानसिकता के तहत चलकर यहाँ कांग्रेस पार्टी एण्ड कम्पनी के लोगों ने लगभग 30 वर्षों तक भटकाए रखा था और अब बीजेपी भी इसे भटकाये हुये हैं। इतना ही नहीं बल्कि बी.एस.पी. वैसे तो बाबा साहेब की प्रेरणा से सर्वसमाज के हितों के लिए काम करती है लेकिन इस मामले में यहाँ सदियों से उपेक्षित रहे खासकर दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता देते हुये,
इन वर्गों में जन्मे हमारे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में जो हमारी सरकार ने यहाँ प्रदेश में काम किये हैं वे ऐतिहासिक हैं अर्थात् बीजेपी भी कांग्रेस पार्टी की ही तरह यहाँ नकली अम्बेडकरवादी बनने की कोशिश न करे, ऐसी मेरी इनको सलाह भी है। लेकिन इसके साथ ही यहाँ मैं कांग्रेस पार्टी के बारे में भी यह कहना चाहूँगी कि अब तो कांग्रेस पार्टी भी यहाँ सपा व बसपा के बने गठबन्धन के बारे में बीजेपी की ही तरह ही अनाप-सनाप भाषा बोलने लगी है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि ये दोनों पार्टियाँ अन्दर-अन्दर हमारे गठबन्धन के खिलाफ एक होकर व आपस में मिलकर यहाँ उत्तर प्रदेश में यह चुनाव लड़ रही हैं।
यही मुख्य वजह है कि अब तो इस कांग्रेस पार्टी के लोग यह भी कहते घूम रहे हैं कि चाहे बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव जीत जाये लेकिन सपा व बसपा गठबन्धन के उम्मीदवार यहाँ चुनाव नहीं जीतने चाहिये। इस प्रकार अपनी इसी जातिवादी व द्वेष की मानसिकता के तहत चलकर ही इस पार्टी ने यहाँ ज्यादातर सीटों पर बीजेपी को फायदा पहुँचाने के लिए ही अपने उम्मीदवार भी खड़े किये हैं। लेकिन इससे यह भी साफ जाहिर हो जाता है कि ये दोनों दल अर्थात् कांग्रेस व बीजेपी यह कतई नहीं चाहते हैं कि देश में जातिवादी, संकीर्ण, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी व्यवस्था के शिकार लोग केन्द्र व राज्यों की सत्ता में आसीन हो। इसीलिए हमारी पार्टी शुरू से ही इन दोनों पार्टियों को एक ही थाली के चट्टे-बट्टे ही मानकर चलती है।
जो यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अब जो लोग भी इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को वोट देते हैं तो उससे फिर यहाँ प्रदेश में बीजेपी को ही फायदा पहुँचेगा। इसे भी खास ध्यान में रखकर अब यहाँ के लोगों को अपना वोट, कांग्रेस पार्टी को देकर कतई भी खराब नहीं करना है बल्कि एकतरफा अपना वोट यहाँ अपने गठबन्धन के उम्मीदवार,उम्मीदवारों को ही देना है और तभी ही फिर यहाँ बीजेपी को हराया जा सकता है। इसके अलावा अब कांग्रेस के लोग मुलायम सिंह यादव द्वारा मोदी को संसद में जो आर्शीवाद देने की बात कर रहे हैं तो इसके बारे में पूरा देश यह जानता है कि अपनी पक्की उम्र में उस दिन यह कहना कुछ और चाहते थे और कह दिया कुछ और अर्थात् इनकी मंसा बिल्कुल भी श्री मोदी को आर्शीवाद देने की नहीं थी।
यह सभी जानते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ यहाँ मैं कांग्रेस पार्टी के लोगों से भी यह सवाल जरुर पूछना चाहती हूँ कि कांग्रेस का मुखिया श्री राहुल गाँधी तो पक्की उम्र के नहीं है तो फिर वह संसद में श्री मोदी के गले मिलकर वहाँ क्या कर रहे थे? तो यह सब जनता जानती है अर्थात् अब इस चुनाव में यहाँ पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी व कांग्रेस इन दोनों पार्टियों का ही सफाया होने वाला है। इससे ये दोनों पार्टियां काफी ज्यादा दुःखी हैं। इसलिए अब ये जान-बूझकर यहाँ कि जनता को गुमराह करने के लिए इस किस्म की बाते कर रही है।
इसके अलावा, पीएम श्री नरेन्द्र मोदी पिछले पाँच वर्षों तक पाकिस्तान के खिलाफ खामोश बने रहे और अब चुनाव के समय में सारी बहादुरी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि अपनी सरकार की घोर कमियों व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटा जा सके। पहले बीजेपी की सरकार ने मसूद अजहर को मेहमान बनाकर जेल से ही नहीं बाहर किया बल्कि विदेश लेकर जा कर छोड़ा और अब चुनाव के समय में उसी के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश की जा रही है, जो अति-निन्दनीय है।