भोपाल: मध्यप्रदेश में सत्ता गंवा चुकी बीजेपी अब लोकसभा चुनावों के लिये कमर कस रही है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि वो दिल्ली जाने के इच्छुक नहीं हैं लेकिन सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिये उन्हें भी मैदान में खड़ा किया जा सकता है.ऐसे में उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ना पड़ सकता है. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी दिल्ली की ट्रेन में बिठाना चाहती है, ये अलग बात है कि वो मध्यप्रदेश में रहना चाहते हैं. शिवराज सिंह चौहान अगर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो दो सीटों के विकल्प खुले हैं. एक सीट विदिशा है तो दूसरी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, जहां उनके सामने कांग्रेस से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मोर्चा संभाल सकते हैं.फिलहाल बीजेपी शिवराज सिंह के चुनाव लड़ने को लेकर न तो हां कह रही है और न ही इन्कार कर रही है.
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिये सूबे के सहप्रभारी सतीश उपाध्याय ने कहा हमारा संसदीय बोर्ड है, वो निश्चित रूप से मजबूत उम्मीदवार देगा .हम मजबूर उम्मीदवार नहीं उतारने वाले हैं. संसद में जाने लायक जो जिताऊ उम्मीदवार हैं वो निश्चित रूप से आएंगे. नकुल सक्रिय राजनीति में कम दिखते हैं लेकिन पिता के मध्यप्रदेश लौटने के बाद वो कई दफे प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में नजर आए हैं. बीजेपी लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने में जुट गई हैं.विधानसभा चुनाव में मिली हार का असर लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण पर पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक जहां चार से अधिक विधानसभा सीटों में भाजपा के विधायक हारे हैं, ऐसे सांसदों के टिकट पर संकट आ सकता है.पार्टी ने इस फार्मूले पर काम किया तो 12 सांसदों के टिकट कट सकते हैं.मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में फिलहाल, 26 बीजेपी के पास हैं, जबकि तीन कांग्रेस के पास. जीत के लिये बीजेपी ने 18 का फॉर्मूला अपनाने की सोची है, यानी राज्य की हर लोकसभा सीट पर 18 पदाधिकारियों की टीम काम करेगी.