मध्यप्रदेश : मध्यप्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ का प्रमाणपत्र सबसे पहले उन किसान परिवारों को दिया जाएगा जिनके परिजनों ने कर्ज की वजह से आत्महत्या किया है। मंत्रिमंडल की गुरुवार रात भोपाल में हुई बैठक में किसानों की कर्ज माफी के लिए बनी योजना को लागू किए जाने की समीक्षा की गई और तभी इस बारे में फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार ने गुरुवार को एक महीने का कार्यकाल पूरा किया। कमलनाथ ने कहा कि सरकार का मानना है कि ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ का फायदा सबसे पहले उन किसान परिवारों को मिलना चाहिए जिनके परिवार के किसी सदस्य ने कर्ज के कारण अपनी जीवन खत्म कर लिया। उन्होंने आगे कहा कि कर्जमाफी योजना को लागू करने के लिए जरूरी धन के लिए सरकार जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी। इसके लिए सरकार के पास उचित और कारगर योजना है।
कमलनाथ ने कहा कि सरकार हर हाल में 22 फरवरी से पहले ऋण मुक्ति का प्रमाणपत्र बांटना शुरू कर देगी। मंत्रिमंडल की बैठक में ‘जय किसान फसल ऋणमाफी योजना’ के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गई है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मंगलवार ही ‘जय किसान फसल ऋणमाफी योजना’ का एलान किया गया था। मध्य प्रदेश में कर्जमाफी के आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ कई किसानों पर फर्जी तौर पर कर्ज होने के मामले भी सामने आने लगे हैं। इस पर कमलनाथ ने कहा, “ऋण माफी की प्रक्रिया में फर्जी ऋण देने के कई मामले सामने आए हैं। हम इनकी जांच करवा रहे हैं और जो भी जिम्मेदार है, उन पर सख्त कार्रवाई करेंगे।” क्या आम चुनाव के चलते कर्जमाफी की प्रक्रिया धीमी होगी, इस सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा, “हम आचार संहिता को कर्जमाफी में आड़े नहीं आने देंगे। सारा कार्यक्रम इसी आधार पर बनाया गया है।”
कर्जमाफी का इन किसानों को मिलेगा लाभ
बैठक में मंत्रियों ने कहा कि कर्जमाफी की कटऑफ डेट (जिस तारीख तक का कर्ज माफ होना है) को लेकर संशय बना हुआ है। इस पर बताया गया कि 31 मार्च 2018 तक ऋण लेने वाले किसानों की दो लाख रुपये तक की कर्ज माफी होगी। इसी तरह 31 मार्च 2018 तक कर्ज लेने वाले किसानों ने यदि 12 दिसंबर 2018 के बीच पूरा या आंशिक रूप से कर्ज चुका दिया है तो उन्हें भी कर्ज माफी योजना का लाभ मिलेगा। मंत्रियों ने कुछ जगहों पर फार्म नहीं पहुंचने की जानकारी दी। इस पर मुख्यमंत्री ने बताया कि यह समस्या जल्द खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 17 जनवरी तक 3 लाख 49 हजार किसानों ने कर्ज माफी के लिए आवेदन कर दिया है। मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं की गई है।
जब जरुरत महसूस की जाएगी तब मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। सहयोगी दलों के दबाव पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “सभी दलों ने हमें बिना शर्त समर्थन दिया है और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन हम पर दबाव नहीं है।” राज्यमंत्री नहीं बनाने के सवाल पर कमलनाथ ने कहा, “राज्यमंत्री नहीं बनाने की परंपरा हमारा सामूहिक फैसला था और ऐसा नहीं है कि हमने इस परंपरा को खत्म कर दिया है।” मीसाबंदियों की पेंशन पर सरकार के यू-टर्न के सवाल पर कमलनाथ ने कहा, “भाजपा ने इस बारे में दुष्प्रचार किया है।
हमने सीएजी की आपत्ति पर इसे ज्यादा पारदर्शी बनाने और भौतिक सत्यापन कराने की बात की थी। हम इस पर कायम हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।” कमलनाथ ने कहा कि मेट्रो परियोजना के बारे में भी भाजपा ने ऐसा ही दुष्प्रचार किया। हम भाजपा की तरह सपने नहीं दिखाएंगे और उसे जमीनी हकीकत में उतारने की कोशिश करेंगे। इसी तरह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का भी हम अध्ययन कर रहे हैं। इसके नाम पर राशि के दुरुपयोग की समीक्षा करेंगे और जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर उचित फैसला लेंगे।