अशाेेेक यादव, लखनऊ। सरकार ने पड़ोसी देश भूटान के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर की स्वीकृति दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। यह एमओयू 10 साल की अवधि के लिए होगा।
दोनों देश में लागू कानूनों और कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए समानता और पारस्परिक लाभों के आधार पर दोनों देशों को पर्यावरण के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में निकट भविष्य में और दीर्घकालिक में सहयोग में यह मददगार होगा।
आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि इस समझौते से दोनों पक्षों के द्विपक्षीय हित और पारस्परिक रूप से सहमत प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुये वायु, अपशिष्ट, रासायनिक प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।
समझौता ज्ञापन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सहयोग गतिविधियों के लिए सभी स्तरों पर संगठनों, निजी कंपनियों, सरकारी संस्थानों और दोनों देशों के अनुसंधान संस्थानों को प्रोत्साहित किया जायेगा।
गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा और विश्लेषण करने के लिए संयुक्त कार्य समूह/द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन किया जायेगा। दोनों पक्ष अपने संबंधित मंत्रालयों/एजेंसियों को प्रगति और उपलब्धियों की विधिवत जानकारी भी प्रदान करेंगे।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और भूटान सरकार के राष्ट्रीय पर्यावरण आयोग (एनईसी) के बीच 11 मार्च 2013 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे।
यह समझौता ज्ञापन 10 मार्च 2016 को समाप्त हो गया। उसके लाभों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों ने पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग और समन्वय को जारी रखने का निर्णय लिया है।