इटावा। भीषण गर्मी के चलते लू-लपट, डायरिया, एसिडिटी, बुखार व पेट की बीमारियों में इजाफा होने से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डाक्टरों की कमी व लापरवाही के चलते मरीज व उनके अभिभावकों को परेशान होना पड़ता है। डा0 भीमराव अम्बेडकर संयुक्त जिला चिकित्सालय में शुरूआत से चिकित्सकों का अभाव रहा है। चिकित्सकों की कमी कभी पूरी नहीं हो पाई। इसके अलावा जो भी चिकित्सक हैं वे कर्तव्य निष्ठा से ड्यूटी नहीं करते हैं। ड्यूटी के समय भी चिकित्सकों के केविन खाली रहतें हैं।
सर्जनों का हाल यह है कि ऑपरेशन के नाम पर मरीजों के अभिभावकों से अस्पताल में ही मोटी धन वसूली करते हैं। इन सर्जनों ने सरकारी अस्पताल को प्राइवेट अस्पताल बना दिया है। धन बसूली की कई बार शिकायत भी की जा चुकी है। लेकिन योगी शासन में कोई सुनने वाला नही है। भुक्त भोगी मरीजों का कहना है कि पुरूष व महिला अस्पताल में ज्यादा कुछ कहने पर मरीजों को सैफई रिफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में त्वचा सहित कई बीमारियों के चिकित्सक लम्बे समय से नहीं हैं। सपा शासन में जिला अस्पताल में बाहर की कम्पनी से कर्मचारियों की आपूर्ति ठेके पर करायी गयी थी।
इसके साथ तमाम मंहगी जांचों के लिए कानपुर की चन्दना लैब से कान्टेक्ट हुआ था। हजारों रुपयों की जांचे एक रुपयें के पर्चे पर हो जाती थीं। जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली थी जो भाजपा शासन में खतम हो गयी है। आम लोगों को राहत देने वाला करार कम्पनी से खत्म हो गया है। आम मरीजों को खून की मंहगी जांचों के लिए प्राइवेट लैब जाना पडता है। जिला अस्पताल में मरीजों के अभिभावकों के लिए बना रैन बसेरा एम्बेलेंस व चिकित्सकों की गाडियों का स्टैण्ड बन गया है। दिव्यांगो के शौचालयों में ताला लगा रहता है।