इस्लामाबाद: पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के जवाबी हमले एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान अब भी सहमा हुआ है। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान को डर है कि भारत में आम चुनाव संपन्न होने तक दोनों देशों के बीच तनाव रह सकता है। इमरान खान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का पूर्वी पड़ोसी देश अभी और दुस्साहस दिखा सकता है। पिछले महीने कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में बेहदव तनावपूर्ण हैं। भारत ने पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में हवाई हमले किए थे जिसमें कई आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया।
भारत की इस कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा पार कर घुसपैठ की थी। इस हवाई हमले में भारत ने पाकिस्तान के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया. बाद में प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से शांति की अपील की और कहा कि आम चुनावों को देखते हुए आपसी रिश्ते नहीं बिगाड़े जाने चाहिए। इमरान काफी पहले से बोलते रहे हैं कि हिंदुस्तान की मौजूदा सरकार सियासी फायदे के लिए हमले करा रही है। इमरान खान ने मंगलवार को फिर यह बात दोहराई और कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान पर जंग के बादल अब भी मंडरा रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार आम चुनावों से पहले कोई और दुस्साहस कर सकती है। इमरान खान ने कहा, खतरा अभी टला नहीं है। भारत में चुनाव संपन्न होने तक यही स्थिति रहेगी हालांकि भारत की ओर से किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हम तैयार हैं।
पाकिस्तान के चर्चित अखबार डॉन ने इमरान खान के हवाले से यह खबर छापी है। इमरान खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान सरकार की ओर से जताई गई कुछ चिंताओं के कारण उन्होंने इस्लामाबाद में तालिबान के साथ अपनी बैठक को टाल दिया है।बीते महीने तालिबान ने कहा था कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद में इमरान खान से मुलाकात करेगा। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि तालिबान ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बैठक इसलिए रद्द कर दी क्योंकि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने इस आंतकी संगठन पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। पाकिस्तान अपने इलाके में शांति बहाली के लिए तालिबान से वार्ता चाहता है लेकिन परिस्थितियां अभी नहीं बन पा रही हैं। पुलवामा आंतकी हमले और बालाकोट में भारत के हवाई हमले के बाद इस पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है जिसका असर तालिबान के साथ शांति वार्ता पर देखा जा रहा है।