सिंगापुर। सिंगापुर के एक शीर्ष राजनयिक ने भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों के 50 साल पूरे होने के मौके पर कहा कि अगर सभी देश अपने पड़ोसियों के साथ सद्भाव से रह सकें, तो यह शांति की दिशा में एक बड़ा योगदान होगा। साथ ही उन्होंने इसे एक ”बड़ी उपलब्धि” बताया।
बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने से 10 दिन पहले ही, भारत ने छह दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को मान्यता दे दी थी। भारत उन पहले मुल्कों में से एक था, जिन्होंने बांग्लादेश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। इस दिन को ‘मैत्री दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है।
‘मैत्री दिवस’, बांग्लादेश और भारत के अलावा बेल्जियम, कनाडा, मिस्र, इंडोनेशिया, रूस, कतर, सिंगापुर, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, मलेशिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका में भी मनाया जाता है। सिंगापुर के दूतावास प्रभारी टॉमी कोह ने इस अवसर पर सोमवार को यहां ‘महात्मा गांधी मेमोरियल हॉल’ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ”सिंगापुर के बांग्लादेश और भारत दोनों के साथ काफी अच्छे संबंध हैं इसलिए, हम इस जश्न का हिस्सा बनकर काफी खुश हैं।
बांग्लादेश और भारत पड़ोसी हैं। हमें इस बात का जश्न मनाना चाहिए कि दोनों पड़ोंसियों के 50 साल से अच्छे संबंध हैं।” यहां भारत और बांग्लादेश के उच्चायोगों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में कोह ने कहा कि दुनिया में बहुत सारी परेशानी पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष और झगड़ों के कारण उत्पन्न होती है।
यदि सभी देश अपने पड़ोसियों के साथ सद्भाव से रह सकें, तो यह शांति की दिशा में एक बड़ा योगदान होगा। शीर्ष राजनयिक ने इस बात का जिक्र किया कि कैसे 1971 में उन्होंने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों के लिए धन जुटाने में संयुक्त राष्ट्र संघ सिंगापुर की मदद की थी। कोह ने कहा, ”हम काफी धनराशि जुटाने में कामयाब रहे थे।
मुझे यह देखकर काफी आश्चर्य हुआ था कि कैसे हमारे एक प्रसिद्ध परोपकारी ने मुझे यह कहते हुए नकदी का एक बंडल दे दिया था कि यह शरणार्थियों के लिए है। सिंगापुर के लोगों ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के दर्द को महसूस किया और उनके साथ सहानुभूति भी व्यक्त की।” भारतीय उच्चायुक्त पी कुमारन और बांग्लादेश के दूत मोहम्मद तौहेदुल इस्लाम ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया।