नई दिल्ली। सिक्किम स्थित डोकलम में भारतीय सेना के मौजूदगी चीन को हरगिज रास नहीं आ रही। इस बाबत चीन ने भारत को पीछे हटने की चेतावनी दी थी। जवाबी तौर पर भारत ने भी पीछे कदम खीचने से मना कर दिया। इस कारण चीन बौखलाया हुआ है। ताजा मामले में चीनी मीडिया ने धमकी भरे अंदाज में भारत को डोकलम से सेना को वापस बुलाने की बात कही है। चीन का कहना है कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो सबसे ज्यादा भारतीय सैनिक ही मारे जाएंगे।
ख़बरों के मुताबिक़ चीन में मीडिया पर पूरी तरह सरकार का नियंत्रण है। कम्युनिस्ट पार्टी चीन की एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जिसका सत्ता पर कब्जा है। चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने 1962 में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के पहले प्रकाशित संपादकीय का हवाला देते हुए भारत को धमकी दी।
1962 में छपे संपादकीय में “इफ दिस कैन बी टॉलरेटेड, व्हाट कान्ट?” (अगर ये बरदाश्त हो सकता है तो क्या नहीं हो सकता?) शीर्षक के तहत 21 सिंतबर 1962 को भारतीय सैनिकों द्वारा बगैर किसी उकसावे के गोलीबारी का आरोप लगाया गया था। उस संपादकीय में ये भी कहा गया था कि भारतीय सैनिक चीनी सीमा में घुसपैठ कर रहे थे।
55 साल पुराने इस संपादकीय में कहा गया था कि अगर गतिरोध बढ़ा तो ज्यादा भारतीय सैनिकों के जानें जाएंगी। चीनी अखबार के संपादकीय ने दोनों देशों की सीमा (मैकमोहन रेखा) को गैर-कानूनी बताया गया है।
छह जून को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर बंकर नष्ट कर दिए थे। वहीं भारत ने भूटान के डोकलाम इलाके में चीन द्वारा सड़क बनाने का विरोध किया।
सिक्किम स्थित इस इलाके में भारत की सीमा तिब्बत और भूटान से लगती है। भारतीय सुरक्षा की दृष्टि से ये इलाका काफी संवेदनशील है।
इसलिए भारत भी सेना को पीछे लेने के मत में नहीं है। दोनों देशों के बीच बांटे बिगड़ते हालातों को देखते हुए युद्ध के आसार जताए जा रहे हैं।
ख़ास तौर पर चीन की इस धमकी ने इस दिशा में अपना मत साफ़ कर दिया है। अब भारत की ओर से इसका क्या जवाब दिया जाएगा, यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।