नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक हितों में साझेदारी बढ़ रही है और दोनों पक्ष एक लचीली और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं जो सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करे। सिंह ने कहा कि भारत-अमेरिका ‘2+2’ संवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच सार्थक बातचीत ने दोनों पक्षों के बीच अधिक महत्वाकांक्षी और रणनीतिक जुड़ाव के लिए आधार तैयार किया है।
‘इंडिया अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स’ में अपने संबोधन में, उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र की समान दृष्टि साझा करते हैं। उन्होंने कहा, रणनीतिक हितों पर हमारा जुड़ाव बढ़ रहा है क्योंकि दोनों देश लचीली, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करे, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखे और सभी के लिए शांति और समृद्धि को बढ़ावा दे।
रक्षा मंत्री ने भारत-अमेरिकी आर्थिक जुड़ाव को 21वीं सदी के परिभाषित व्यावसायिक संबंधों में से एक बताते हुए कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में द्विपक्षीय व्यापार में उछाल आया है, जो माल में 113 अरब डॉलर को पार कर गया है। उन्होंने कहा, इस बढ़ते व्यापार के संदर्भ में, भारत-अमेरिका व्यापार नीति मंच में द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने, बाजार पहुंच बाधाओं को दूर करने और व्यापार की सुगमता में सुधार के लिए चर्चा तेजी से महत्वपूर्ण हो गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंधों का “रक्षा स्तंभ” दिनों दिन मजबूत हो रहा । उन्होंने कहा कि यह मूलभूत द्विपक्षीय समझौतों, सैन्य जुड़ाव, रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहयोग देने पर आधारित है और इस में अब सह-विकास और सह-उत्पादन पर नए सिरे से दिया जा रहा बल भी शामिल हुआ है। सिंह ने कहा, “देर से ही सही, कुछ अमेरिकी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में अपनी स्थानीय उपस्थिति का विस्तार किया है और वे भारत में, भारत और दुनिया के लिए उत्पादन कर रही हैं।
हालांकि, हमारा मानना है कि यह सिर्फ एक शुरुआत है।” भारत-अमेरिका ‘2+2’ संवाद 11 अप्रैल को वाशिंगटन में हुआ था। रक्षा मंत्री सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ बातचीत की थी। बातचीत से पहले, उस दिन प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने डिजिटल माध्यम से बैठक की थी, जिसके दौरान यूक्रेन संकट का मुद्दा प्रमुख रूप से सामने आया था।