35 साल के तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। सचिन तेंदुलकर को अपनी गेंदबाजी से प्रभावित करने वाले मुनाफ पटेल ने 2003 में राजकोट में मेहमान टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत ए की ओर से खेलते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा था। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को तो अलविदा कह दिया है, लेकिन क्रिकेट का मैदान नहीं छोड़ेंगे। मुनाफ अब आने वाली टी10 लीग का हिस्सा होंगे, जहां वह राजपूत टीम की ओर से खेलेंगे। मुनाफ को अपने डेब्यू के तीन साल बाद भारत की टेस्ट टीम में खेलने का मौका मिला। 2006 में उन्होंने डरबन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पर्दापण किया। इसके एक माह बाद उन्होंने वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया। हालांकि, पटेल का करियर ज्यादातर चोटों से प्रभावित रहा, जिसके कारण वह 13 टेस्ट और 70 वनडे मैच ही खेल सके। उन्होंने अपना आखिरी इंटरनेशनल मुकाबला 2011 में खेला था। पटेल ने तीन टी20 मैच भी खेले हैं।
पटेल ने कहा कि इस समय संन्यास लेने का उन्हें कोई दुख नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने जिन खिलाड़ियों के साथ क्रिकेट खेला है, वे सभी संन्यास ले चुके हैं। उनमें से सिर्फ धोनी ही हैं, जो अभी तक खेल रहे हैं। बाकी सब डन हो चुके हैं, इसीलिए कोई दुख नहीं हैं। पटेल ने कहा कि गम उस समय होता, जब सभी खेल रहे होते और मैं संन्यास लेता। संन्यास लेने के अपने फैसले पर पटेल ने कहा कि कोई खास कारण नहीं है। उम्र हो चुकी है, फिटनेस भी पहली जैसी नहीं हैं। युवा मौकों का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि मैं 2011 विश्व कप विजेता टीम का सदस्य रहा।
भारतीय तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल ने क्रिकेट को कहा अलविदा, 2011 विश्व कप में निभाई थी अहम भूमिका
Loading...