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भारतीय कानून व्यवस्था : चंदा कोचर, दीपक कोचर के खिलाफ FIR पर साइन करने वाले सीबीआई अफसर का ट्रांसफर

नई दिल्ली:आईसीआईसी बैंक ऋण मामले में सीबीआई की बैंकिंग ऐंड सिक्योरिटीज फ्रॉड सेल के एसपी सुधांशु धर मिश्रा को रांची ट्रांसफर कर दिया गया है. सुधांशु धर मिश्रा का ट्रांसफर झारखंड की राजधानी स्थित CBI की आर्थिक अपराध शाखा में किया गया है. सुधांशु मिश्रा ने आईसीआईसी-वीडियोकॉन मामले में 22 जनवरी को चंदा कोचर , उनके पति दीपक कोचर, वीएन धूत और अन्य के खिलाफ एफआईआर पर दस्तखत किया था. बताया जा रहा है कि इसी के बाद 24 जनवरी को सीबीआई की टीम ने महाराष्ट्र के चार ठिकानों पर छापे मारे थे. इतना ही नहीं, इस कार्रवाई के बाद अरुण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लिया था और इसे बिना परिणाम की कार्रवाई करार दिया था.

आईसीआसीआई की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रूपए के ऋणों को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सिलसिले में यह मामला दर्ज किया है. बता दें कि चंदा कोचर के पति के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लिया था और सलाह दी थी कि महाभारत के अर्जुन की तरह टारगेट पर नजर रखें. सुधांशु मिश्रा की जगह कोलकाता में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के एसपी बिस्वजीत दास का ट्रांसफर दिल्ली किया गया है. वहीं, कोलकाता में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा-IV के एसपी सुदीप राय को दास की जगह लाया गया है.

बुधवार की रात प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद एजेंसी ने मुंबई और औरंगाबाद में चार स्थानों पर छापे मारे थे. सीबीआई ने वीडियोकॉन समूह, न्यूपावर रिन्यूएबल्स और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालयों पर छापे मारे थे. अधिकारियों ने बताया कि वेणुगोपाल धूत के अलावा उनकी कंपनियों वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी और न्यूपावर रिन्यूएबल्स को भी आरोपी बनाया गया है. न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर द्वारा किया जाता है जबकि सुप्रीम एनर्जी की स्थापना धूत ने की थी.

कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक के मौजूदा सीईओ संदीप बख्शी, संजय चटर्जी, ज़रीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, के वी कामथ और होमी खुसरोखान उन समितियों में शामिल थे जिसने ऋणों को मंजूरी दी. बैंक और अन्य लोगों की ओर से अभी कोई टिप्पणी नहीं की गयी है. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिए गए ऋण बाद में गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गए जिससे बैंक को नुकसान हुआ वहीं आरोपियों और ऋण लेने वालों को अनुचित फायदा हुआ.

एजेंसी ने सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं तथा भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.  यह आरोप है कि मई 2009 में चंदा कोचर द्वारा बैंक की सीईओ का पदभार ग्रहण करने के बाद ऋणों को मंजूर किया गया और इसके बाद धूत ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर में अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी के माध्यम से निवेश किया. प्राथमिकी में कहा गया है कि सीबीआई इन ऋणों की मंजूरी के सिलसिले में बैंकिंग उद्योग के कुछ बड़े नामों की भूमिका की जांच करना चाहती है.

 

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