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भारत में तेजी से बदल रहा है निवेश का तरीका, परम्परागत निवेश छोड़ इसमें हो रहा है निवेश

लखनऊ: भारतीयों का हमेशा से निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), सेविंग एकाउंट या इक्विटी आदि में ही रुझान रहा है। लेकिन मई महीने के एसआईपी में रिकॉर्ड निवेश के आंकड़े देखकर ऐसा माना जा रहा है कि लोगों का रुझान म्युचुअल फंड्स में बढ़ रहा है। म्युचुअल फंड्स निवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। यहां निवेशक कम पूंजी के साथ किये गये निवेश से भी अच्छा रिटर्न कमा सकता है। म्युचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए सबसे सरल तरीका सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) के डेटा के मुताबिक मई महीने में एसआईपी के जरिए 7304 करोड़ रुपये जुटाए गये हैं। यह आंकड़ा अप्रैल के 6690 करोड़ रुपये से नौ फीसद ज्यादा रहा है। एसआईपी के कुल खाते 2.23 करोड़ के स्तर पर रहे हैं।

सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान पूंजी को बढ़ाने के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प है। इसमें निवेश की शुरुआत महज 500 रुपये की राशि के साथ भी की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती महंगाई और भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए इस निवेश राशि को अपनी आय में वृद्धि के अनुसार ही बढ़ाते रहना चाहिए। निवेश और टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का मानना है कि अगर आपके पास समय और जोखिम क्षमता दोनों है तो एसआईपी का चयन करना चाहिए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मिलने वाले ब्याज की दर 15 से 16 फीसद तक भी पहुंच जाता है। इसमें आप महीने के 500 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। साथ ही इसपर मिलने वाला रिटर्न शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।

एएमएफआई के डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान म्युचुअल फंड इंडिस्ट्री में औसतन हर महीने 9.58 लाख एसआईपी खाते जुड़े हैं। यह महीने का औसतन 3275 रुपये प्रति एसआईपी खाता रहा है।एएमएफआई के अनुसार म्युचुअल फंड्स में निवेश करने का सबसे सहुलियत भरा जरिया एसआईपी है। साथ ही स्थायी अनुदेश (स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन्स) की मदद से हर महीने निवेशक के खाते से तय राशि डेबिट कर ली जाती है। इसके लिए निवेशक को हर बार चेक भरने की जरूरत नहीं होती। इसमें निवेश के दौरान निवेशक को शेयर बाजार की अस्थिरता और मार्केट टाइमिंग की चिंता करने की जरूरत नहीं होती। इसमें रूपी कॉस्ट एवरेजिंग का मौका मिलता है। इसमें ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यम से निवेश किया जा सकता है।

एसआईपी कभी भी शुरू, रोक या बंद की जा सकती है। इसमें निवेश की जाने वाली राशि बिना किसी दिक्कत के कभी भी बढ़ाई या घटाई जा सकती है। भारतीयों के निवेश के लिए परंपरागत तरीकें फिक्स्ड डिपॉजित (एफडी), गोल्ड, सेविंग्स एकाउंट आदि रहे हैं। लेकिन एफडी पर अधिकतम ब्याज 6 से 6.5 फीसद तक मिलता है। वहीं, म्युचुअल फंड्स पर मिलने वाला रिटर्न 15 से 16 फीसद तक होता है। इसमें निवेश बढ़ने का सबसे बड़ा कारण टीवी, रेडियो, अखबार और मैगजीन में विज्ञापन हैं। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री की ओर से जमकर विज्ञापन किये जा रहे हैं। वे इन विज्ञापनों के जरिए देशभर में निवेशकों को लंबी अवधि के निवेश और इक्विटीज में पैसा लगाने के फायदे बता रहे हैं। टीवी पर किसी भी कार्यक्रम के दौरान कंपनियां भी अपने म्युचुअल फंड के लिए विज्ञापन कर कम राशि पर मोटा रिटर्न कमाने के अवसर गिना रही है। वहीं, गौर किया जाए तो महिलाओं के लिए प्रकाशित होने वाली मैगजीन में भी निवेश के फायदे नुकसान बताए जा रहे हैं। इसके जरिए वे महिलाओं को एसआईपी के संबंध में जागरूक कर रहे हैं।

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