लखनऊ: जब से केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार बनी है, तब से पिछड़ों व दलितों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने व आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने का षड़यंत्र किया जा रहा है। उक्त आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने कहा कि एससी व एसटी को 1935 से ही भारतीय अधिनियम के तहत् जनसंख्यानुपाती आरक्षण की व्यवस्था की गई है। पिछड़े वर्ग की मण्डल कमीशन के तहत् 52 प्रतिशत मानी गयी सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों को इन्द्रा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में 9 जजों की संविधान पीठ के 16 नवम्बर 1992 के निर्णय के बाद से 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। अभी तक वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत पिछड़ी जातियों को केन्द्रीय सेवाओं में मात्र 6.9 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है, फिर भी लगभग 80 प्रतिशत पदों पर काबिज सामाजिक न्याया विरोधी तत्वों के पेट में दर्द उठ रहा है।
भाजपा पिछड़ी जातियों को जोड़ने व काटने के लिए प्रतिदिन लखनऊ के विश्वैश्वरैया सभागार में जातिगत सम्मेलन करा रही है। जिसमें केशव प्रसाद मौर्य को आगे कर एक बार और पिछड़ों का नेता बनाने के काम में जुटी है लेकिन 2017 में आर.एस.एस. व भाजपा के षड़यंत्र का शिकार हुए अतिपिछड़े व अतिदलित भाजपा के झांसे में नहीं आयेगी। सपा, बसपा जातिगत सम्मेलन कराती तो जातिवाद होता, न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन होता लेकिन भाजपा प्रतिदिन एक जाति का सम्मेलन करा रही है तो यह न्यायालय का सम्मान व राम राज है। श्री निषाद ने बताया कि भाजपा वोट हथियाने के लिए शूद्रों (ओबीसी,एससी, एसटी, डी.एन.टी., वी.जे.एन.टी)-यादव, निषाद, कश्यप, बिन्द, कुर्मी, काछी, कोयरी, बढ़ई, लोहार, तेली, तम्मोली, बरई, बारी, नाई, कसेरा, सोनार, ठठेरा, गिरि, गोसाई, बंजारा, लोधी, किसान, अर्कवंशीय ही नहीं धानुक, पासी, कोरी, डोम, मुशहर, हलालखोर, भंगी, वाल्मीकि, गोड़, खरवार, खैरहा, बांसखोर, धरकार, बहेलिया आदि को हिन्दू कहती है और सत्ता पाने के बाद इन जातियों के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव कर दर किनार कर देती है। केन्द्रीय कैबिनेट में 27 मंत्री हैं।
जिसमें 2 कथा कथित दलित व मात्र 1-1 ओबीसी व आदिवासी है। 2013 में 10 वर्ष पिछड़ों दलितों का होने की बात करने वाले गरीब मां के बेटा व पिछड़ी जाति का बताने वाले नरेन्द्र मोदी जब से पी0एम0 बने हैं पिछड़ों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि भाजपा पिछड़ों की ताकत को कमजोर करने के लिए व इनमें नफरत की भावना पैदा करने के लिए उपवर्गीकरण के षडयंत्र में जूटी है। उन्होने कहा कि भाजपा अतिपिछड़ों की हितैशी है तो झूठा पिछड़ा प्रेम दिखाने की बजाय ओबीसी को एससी, एसटी की भांति जनसंख्यानुपाती आरक्षण सुनिश्चित करें। पिछड़े वर्ग के आरक्षण व संवैधानिक अधिकारों की हकमारी करने वाली भाजपा को लोक सभा चुनाव-2019 में अतिपिछड़े व अतिदलित सबक सिखायेंगे। लोक सेवा आयोग इलाहाबाद द्वारा 86 में 56 यादव एस0डी0एम0 बनाने का सपा सरकार पर झूठा आरोप लगा कर भाजपा व आर.एस.एस. ने गैर यादव पिछड़ी व दलित जातियों के मध्य यादव के विरूद्ध नफरत की भावना पैदा कर सपा से दूर कर दिया।
आज इस बात की सच्चाई जानने के बाद गैर यादव पिछड़े पछता रहे हैं। सपा सरकार में भाजपा को हर जगह जातिवाद व एक जाति विशेष का दखल दिखाई दे रहा था। लेकिन योगी सरकार में चैकी थाने से लेकर जिला व शासन-प्रशाासन तक दो जातियों का वर्चस्व कायम करा दिया गया है, पर ये अपने को रामराजी कहते हैं। सीएम बनते ही सीनियर जूडीशियरी में 61 में 52 सवर्ण जज बना दिये गये। गोरखपुर विश्व विद्यालय मेें 71 एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर में 38 ठाकुर व 24 ब्राह्मण सहित 66 सवर्ण बना दिये गये। क्या यह जातिवाद नहीं तो और क्या है ? पिछड़े व दलित भाजपा के असली चेहरे को पहचान गये हैं। उसके द्वारा ओबीसी, एससी व एसटी की जातियों का अलग-अलग सम्मेलन कराने से अब उसके बहकावे में नहीं आयेंगे। अब पिछड़े समझ गये है कि मण्डल कमीशन का विरोध करने वाली भाजपा पिछड़ों के लिए खलनायक है। हिन्दु व हिन्दुत्व पिछड़ों दलितों को बेवकूफ बनाने का हथियार है।