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भाजपा मंत्री अभिमन्यु ने राहुल गांधी की मां सोनिया को ‘इटली वाली आंटी’ कह कर कसा तंज

हरियाणा: भाजपाई मंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी को ‘इटली वाली आंटी’ कहकर संबोधित किया और कटाक्ष करते हुए एक बयान दिया। वित्त एवं राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का कहना है कि हम ऐसा हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं, जिसे मजदूर के बेटे-बेटी अफसर, इंजीनियर, डॉक्टर और आईएएस-आईपीएस बनकर आगे बढ़ाए। इसीलिए प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए ऐसी 24 योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे मजदूरों के बच्चों को मजदूरी न करनी पड़े। उन्होंने सोनिया गांधी पर कटाक्ष किया कि इटली वाली आंटी क्या जाने गरीबी क्या होती है। आजादी के 70 साल बाद देश को नरेंद्र मोदी के रूप में पहली बार गरीब परिवार में जन्मे ऐसे प्रधानमंत्री मिले हैं जो गरीब, मजदूर व शोषितों के हित में काम कर रहे हैं।

चूल्हे पर रोटी बनाती माताओं को धुएं से निजात दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना के माध्यम से हर घर तक गैस सिलिंडर पहुंचाने का काम किया और 50 करोड़ जनता को 5 लाख रुपये सालाना मुफ्त मेडिकल सुविधाएं देने का फैसला लागू किया। ऐसी उम्मीद इटली वाली आंटी के बेटे से नहीं की जा सकती है। वित्तमंत्री नारनौंद की नई सब्जी मंडी में श्रमिक जागरूकता एवं सम्मान समारोह के अंतर्गत आयोजित अंत्योदय मेले में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने की। कैप्टन अभिमन्यु व नायब सिंह सैनी ने 1400 श्रमिक महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित की और विभिन्न योजनाओं के 6246 लाभार्थियों को 4 करोड़ 39 लाख 33 हजार 400 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की।

वित्तमंत्री ने कहा कि श्रम मंत्री पहले की सरकारों में भी रहे हैं लेकिन क्या आज तक किसी ने देखा है कि किसी श्रम मंत्री ने इस प्रकार कार्यक्रम आयोजित कर करोड़ों रुपयों की योजनाओं का लाभ और इनकी जानकारी श्रमिकों को प्रदान की हो। भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो 10 साल मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश को लूटकर खा गए। कांग्रेस व इनेलो के नेताओं को केवल वोट लेने के लिए गरीबों व श्रमिकों की याद आती है। वर्तमान सरकार ने अंत्योदय के सिद्धांत पर गरीबों व मजदूरों के लिए ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। श्रमिकों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा व वजीफा योजनाएं शुरू करके ऐसी पहल की है कि किसी मजदूर के बेटे को मजदूरी न करनी पड़े। श्रमिक के बच्चों को भी अफसर बनने का उतना ही अधिकार है जितना साधन संपन्न परिवार के बच्चों को है।

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