पटनाः बिहार में 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और जदयू ने समान सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा की गई इस घोषणा के बाद से भाजपा में हलचल मच गई है। इस हलचल का कारण भाजपा को होने वाला सीटों का नुकसान बताया जा रहा है। इसके चलते कई सांसद पार्टी छोड़कर अन्य राजनीतिक दल का दामन भी दाम सकते हैं। 2014 में भाजपा को बिहार में 22 सीटें मिली थी लेकिन अब जदयू के साथ आने के बाद आशंका जताई जा रही है कि भाजपा को इस बार छह सीटों का नुकसान हो सकता है।
भाजपा की छह के करीब सीटें जदयू के हिस्से में जा सकती हैं। इसके चलते जदयू के खाते में जाने वाली सीटों पर मौजूद भाजपा सांसद अपनी ही पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपना सकते हैं। पटना साहिब से भाजपा के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पहले ही पार्टी के खिलाफ कई बार बयान जारी कर चुके हैं। सिन्हा ने कहा था कि वह पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे चाहे वह भाजपा की तरफ से लड़ें या किसी और पार्टी की तरफ से। वहीं दरभंगा से सांसद कीर्ति झा आजाद भी पार्टी के खिलाफ विरोधी रुख अपना चुके हैं। इनके अतिरिक्त मुजफ्फरपुर की सीट भी जदयू के खाते में जा सकती है जिसके कारण वहां से भाजपा सांसद अजय निषाद भी पार्टी के खिलाफ बगावत के सुर अपना सकते हैं।
अपनी सीट को खतरे में पड़ता देख अजय निषाद ने जदयू से भी नजदीकियां बढ़ा दी हैं। इसके अलावा आरा सीट पर भी जदयू ने अपना दावा ठोका है। वहां से केंद्रीय राज्यमंत्री आर के सिंह भाजपा के सांसद हैं। इसके अलावा छपरा से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूढी, पश्चिमी चंपारण से संजय जायसवाल, वाल्मीकि नगर से सतीश चंद्र दूबे, झंझारपुर से बीरेंद्र कुमार चौधरी और सीवान से ओमप्रकाश यादव का भी टिकट काटे जाने की चर्चा है। इसके चलते भाजपा को अपनी ही पार्टी के सांसदों की बगावत का सामना करना पड़ सकते हैं और यह बगावत के सुर आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं।