शिमला: हमीरपुर लोकसभा सीट पर लंबी माथापच्ची के बाद कांग्रेस ने रामलाल ठाकुर पर दांव खेला है। कांग्रेस ने इस पैंतरे से क्षेत्रवाद का कार्ड खेलकर भाजपा की परंपरागत सीट कब्जाने की रणनीति बनाई है। वहीं, रामलाल ठाकुर को टिकट देकर नड्डा के गढ़ में भी सेंधमारी करने का प्रयास किया है। क्योंकि रामलाल ठाकुर बिलासपुर से संबंध रखते हैं। वे श्री नयना देवी के साथ लगते जिले में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। उधर, मुकेश अग्निहोत्री, सुक्खू, राजेंद्र राणा, राजेश धर्माणी सहित अन्य नेताओं पर भी इस बार अपने क्षेत्र से रामलाल को बढ़त दिलाने का दबाव रहेगा। पार्टी ने इन सभी नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए कहा था लेकिन सभी चुनाव लड़ने से पीछे हट गए। 1999 में रामलाल ठाकुर ने संसदीय चुनाव में सुरेश चंदेल से करीब 1 लाख 29 हजार मतों से हार देखी।
वर्ष 2004 में रामलाल ठाकुर को सुरेश चंदेल से 1615 वोटों के करीबी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 2007 में हुए चुनाव में भी रामलाल ठाकुर को धूमल से हार का सामना करना पड़ा था। रामलाल प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। रामलाल ठाकुर 1985 में पहली बार विधायक बने। पहली बार में ही उन्हें आयुर्वेद, शहरी एवं विकास, युवा सेवाएं एवं खेल विभाग और बिजली बोर्ड का मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1994 से 1995 में वे कानून मंत्री और खेल मंत्री रहे, 1996 से 1998 तक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहे। जबकि 2003 में रामलाल ठाकुर के पास उद्योग विभाग, आईटी और युवा खेल विभाग का मंत्रालय रहा। पूर्व में कांग्रेस की सरकार में रामलाल ठाकुर 20 सूत्रीय कार्यक्रम कमेटी के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा 1978 से 1982 तक युवा कांग्रेस बिलासपुर के अध्यक्ष रहे हैं। ठाकुर रामलाल का जन्म सात जून 1951 को बिलासपुर के गांव घियाल में हुआ। रामलाल ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय से कानून की पढ़ाई की है। इसके अलावा रामलाल ठाकुर एमए हिंदी और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी किया है। श्री नयना देवी हलके से भाजपा का सहयोग भी अंदरखाते मिल सकता है। अगर रामलाल ठाकुर जीतते हैं तो श्री नयना देवी में उप चुनाव होंगे। जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की दावेदारी एक बार फिर से मजबूत होगी और नयना देवी के लोग भी चाहेंगे की उपचुनाव में रणधीर जीते। इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा का कुछ वोटबैंक रामलाल ठाकुर की तरफ जा सकता है।