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भाजपा का लक्ष्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि उसकी प्राथमिकता देश के लिए बड़ा काम करना और देश को बड़ा बनाना: प्रधानमंत्री

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भाजपा का लक्ष्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि उसकी प्राथमिकता देश के लिए बड़ा काम करना और देश को बड़ा बनाना है। उन्होंने कहा कि इसे ही ध्यान में रखते हुए भाजपा को अपने संगठन का विस्तार करना चाहिए। राजधानी स्थित एनडीएमसी कंवेशन सेंटर में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं। इसकी जानकारी भाजपा महासचिव भूपेन्द्र यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी।

यादव के अनुसार प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ”भाजपा का जो मिशन है, भाजपा का जो संगठन है, यह केवल सत्ता प्राप्त करने के लिए नहीं है। बल्कि उसके लिए प्राथमिकता देश के लिए बड़ा कार्य करना है और देश को बड़ा बनाना है। मोदी ने कहा कि भाजपा संगठन को भी उसी हिसाब से अपनी गुणवत्ता में विकास करना चाहिए। ”सबका साथ, सबका विकास को भाजपा का मूलमंत्र बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मूलमंत्र को लेकर ही भाजपा देश में सकारात्मक कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा, ”चाहे जीएसटी सुधार का विषय हो, कृषि सुधार के विषय हो या फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण का विषय हो। देश में लगातार सुधार का कार्य करते हुए भारत को आगे ले जाने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। यादव ने बताया कि अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज देश के विकास के लिए एक सकारात्मक माहौल है इसलिए देश के विकास में सब को आगे बढ़कर काम करना है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि वे ‘देश पहले के आदर्श वाक्य के साथ पार्टी को मजबूत करें, उसका विस्तार करें। भाजपा महासचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री के भाषण से सभी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ। बैठक में देश की वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित हुआ जिसमें कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों और कोविड-19 के प्रबंधन में प्रभावी नेतृत्व देने के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया गया। इस बैठक में भाजपा के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेशों के अध्यक्ष, राज्यों के प्रभारी व सह-प्रभारी तथा राज्यों के संगठन मंत्री भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने दीप प्रज्जवलित कर बैठक की शुरुआत की और बाद में उसे संबोधित भी किया। बैठक में कोविड-19 महामारी के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और इस संबंध में एक शोक प्रस्ताव भी पारित किया गया। बैठक के दौरान असम, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव, आत्मनिर्भर भारत अभियान और तीन कृषि कानूनों के बारे में भी चर्चा हुई।

कोरोना महामारी के दौरान यह राष्ट्रीय पदाधिकारियों की पहली बैठक थी जिसमें नेता प्रत्यक्ष तौर पर शामिल हुए। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब तीन कृषि कानूनों को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले लगभग तीन महीने से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसान संगठन अपने आंदोलन को देशव्यापी बनाने की कोशिशों में हैं और वे लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर हैं।

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