महाबलीपुरम मंदिरों का एक शहर है और यह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए यह शहर बहुत अधिक प्रसिद्ध है। तट मंदिर और रथ गुफा मंदिर इनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। आइए इनके बारें में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
तट मंदिर
महाबलीपुरम के तट मंदिर, मंदिरों में एक दम ताजा कर देने वाले त्रुटि रहित शिल्प हैं जो ग्रेंडियोज़ द्रविणियन वास्तुकला से भिन्न है और जिसमें सुरक्षात्मक ब्रेक वॉटर के पीछे तरंगों पर स्तंभ बनाए जाते थे। सुंदर बहुभुजी गुम्बद वाले इन मंदिरो में भगवान विष्णु और शिव का निवास है। ये सुंदर मंदिर हवा और समुद्र के झोंकों से परिपूर्ण हैं।रथ गुफा मंदिर
महाबलीपुरम के रथ गुफा मंदिर का निर्माण पत्थरों को काट कर किया गया है। इसे विशेष रूप से इसमें बनाए गए रथों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर रथ के आकार में बना हुआ है और इसमें भगवान शिव की महिमा के हजारों शिल्प बनाए गए हैं।
महाबलीपुरम में रथ
महाबलीपुरम में आठ रथ हैं जिनमें से पांच को महाभारत के पात्र पांच पाण्डवों और एक द्रौपदी के नाम पर नाम दिया गया है। इन पांच रथों को धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, द्रौपदी रथ, नकुल और सहदेव रथ के नाम से जाना जाता है।
वराह गुफा मंदिर
वराह गुफा मां लक्ष्मी, दुर्गा और विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। बाहर से साधारण दिखने वाली इस गुफा के भीतर की दीवारें खूबसूरत मूर्तिकला से सुसज्जित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस गुफा के खंभे भगवान नरसिंह के मजबूत बाजुओं पर टिके हैं।
भव्य मंदिरों, सागर-तटों के लिए प्रसिद्ध है महाबलीपुरम, इन मंदिरो में है भगवान विष्णु और शिव का वास
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