राहुल यादव, लखनऊ। प्लास्टिक सर्जरी के डॉ सुबोध कुमार सिंह ने बताया की ब्लैक फंगस से कैसे बचें। म्यूकर माइकोसिस एक काली फंगस है जोकि चेहरे नाक ,साइनस , आँख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है। इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है।
किसे हो सकता है :-
१. कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो – डेक्सामिथाजोन , मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि।
२. कोविड मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आई सी यू में रखना पड़ा हो।
३. डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो।
४. कैंसर ,किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।
ब्लैक फंगस क्या लक्षण हैं :-
१. बुखार आ रहा हो , सर दर्द हो रहा हो , खांसी हो ,सांस फूल रही हो।
२. नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
३.आँख में दर्द हो। आँख फूल जाए ,दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए।
४. चेहरे में एक तरफ दर्द हो , सूजन हो या सुन्न हो ( छूने पर छूने का अहसास ना हो )
५. दाँत में दर्द हो , दांत हिलने लगें , चबाने में दर्द हो।
६. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये।
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क्या करें :-
उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएँ – नाक कान गले , आँख , मेडिसिन , चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएँ , और लग कर इलाज शुरू. करें।
सावधानियां :-
१. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिस्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें। स्टेरॉयड दवाएं जैसे – डेक्सोना , मेड्रोल इत्यादि।
२. लक्षण के पहले ५ से ७ दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है।
३. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल ५-१० दिनों के लिए देते हैं -वो भी बीमारी शुरू होने के ५-७ दिनों बाद -केवल गंभीर मरीजों को। इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है।
४. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है , तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।
५.स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
६. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें। बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।