मां का दूध नवजात बच्चे के लिए कितना जरूरी है, यह बात तो हर कोई जानता है। 6 माह से 1 साल के बच्चे को मां के दूध के जरिए ही जरूरी पोषक तत्व मिल पाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं में ओवरी संबंधी बीमारियों का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है। इसके अलावा भी ब्रेस्टफीडिंग करवाने से महिलाओं को कई फायदे मिलते हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग छुड़वाने का सही समय
बच्चों को 6 महीने से लेकर डेढ़ साल तक दूध ब्रेस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। इससे ज्यादा मां का दूध पिलाने से औरतों के शरीर पर बुरा असर पड़ता है। क्योंकि इस समय के बाद महिलाओं के ब्रेस्ट में दूध आना बंद हो जाता है।
ब्रेस्फीडिंग करवाने के फायदे
तनावमुक्त करने में मददगार
शोध के मुताबिक, जो मांएं अपने बच्चे को स्तनपान करवाती है उन्हें डिप्रेशन जैसी समस्या होती नहीं होती। ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से ऑक्सीटोसिन हार्मोन निकलता है जो मां को रिलैक्स और तनाव मुक्त करने में मदद करता है।ओवरी कैंसर का खतरा कम
जो महिलाएं बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग करवाती हैं उन्हें ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर नहीं होता। खुद को और बच्चे को बीमारियों से दूर रखने के लिए उनको स्तनपान जरूर करवाएं। हमेशा स्वस्थ रहने के लिए बच्चे को कम से कम 6 महीने के ब्रेस्ट फीडिंग जरूर करवाएं।
एनीमिया
ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से मां को एनीमिया होने का खतरा कम रहता है। इसके साथ ही मां और बच्चे के बीच का भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है।
वजन घटाने में मददगार
स्तनपान कराने वाली महिलाएं अधिक कैलोरी को इस्तेमाल करती हैं जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ जाता है। लेकिन प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने का यह कारगर तरीका है।
सिर्फ मां ही नहीं बल्कि स्तनपान करवाना शिशु के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। अब हम आपको बताएगे कि स्तनाप करवाने से शिशु को क्या-क्या फायदे मिलते हैं।
इंफेक्शन से बचाव
स्तनपान करवाने वाली सिर्फ शिशु ही नहीं बल्कि औंरतें भा इंफेक्शन के खतरे से बची रहती हैं। इतना ही नहीं इससे बच्चों में डायबिटीज, व्हाइट सेलस का कम होना, एलर्जी जैसे दमा और एक्जिमा का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है।
तेज दिमाग
शोध के मुताबिक, स्तनपान करवाने से शिशु का दिमाग दोगुना तेज होता है। मां के दूध में ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चों के दिमाग का विकास करते हैं।
शिशुओं का बढ़ता है वजन
आमतौर पर बच्चे का वजन जन्म के समय काफी कम होता है लेकिन अगर सही और मात्रा में बच्चे को मां का दूध मिले तो उसका वजन बढ़ जाता है। तो अगर आपके बच्चे का वजन भी कम है तो उन्हें स्तनपान करवाती रहें।
मोटापे से बचाव
ब्रेस्घ्टफीडिंग से शिशुओं को बचपन में होने वाले मोटापे के खतरे को कम किया जा सकता है। बाहरी दूध की तुलना में मां के दूध में इंसुलिन काफी कम होता है (इन्सुलिन वसा निर्माण को उत्प्रेरित करता है)।
बॉडी टेम्परेचर रहता है सामान्य
जन्म के बाद बच्चे के शरीर का तापमान ऊपर-नीचे होता है रहता है। ऐसे में मां का दूध उनके बॉडी टेम्परेचर को सामान्य रखने में काफी मददगार साबित होता है.
हड्डियां मजबूत होना
मां का दूध पीने से बच्चे के शरीर में प्रोटीन और विटामिन्स की कमी नहीं होती है। शरीर में मौजूद पोषक तत्व बच्चों की हड्डियों को मजबूत करने और उनको बीमारियों से बचाने का काम करता है।
अन्य बीमारियों से सुरक्षा
बच्चे को स्तनपान करवाने से उनको कई बीमारियों से बचाया जा सकता है । उनको टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा, आंत संबंधी बीमारियां होने का खतरा घट जाता है।
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