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बीजेपी ने की दलित सम्मेलन की शुरुआत, प्रदेश अध्यक्ष ने साधा अखिलेश-मायावती पर निशाना

लखनऊ। यूपी में महागठबंधन की चर्चा के बीच बीजेपी ने इसकी काठ ढूंढ़नी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में पिछड़ी जातियों के सम्मेलन के बाद बुधवार से दलित सम्मेलन की शुरुआत हुई। सम्मेलन के पहले दिन अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। राजधानी के पीडब्ल्यूडी के विश्वेसरैया हाल में हुए इस कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने संबोधित किया। इस दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायवाती पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक ऊंचाई पर आने के बाद मायावती राजशाही तरीके से रहती है, कार्यकर्ता जमीन पर बैठता है, और खुद ऊंचे पर बैठती है। काशीराम के सपने को दौलत के नशे में मायावती ने चूर कर दिया। मीराबाई गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया और बताया कैसे ब्रम्हदत्त द्विवेदी जी ने जाकर मायावती की मदद की थी।

दो बार मायावती को समर्थन दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा, की तीसरी बार हमारी सत्ता के समर्थन में एक रैली की और एक हमारे ही पदाधिकारी ने कहा इस महिला को आगे बढ़ना है लेकिन अपनी लालच में इन्होंने दलितों के सपने को खत्म कर दिया।भाजपा की सोच मौलिक सोच है जिसके जरिये अंतिम पायदान के लोग तक सुविधाएं पहुँचना है। महेंद्र नाथ पांडे ने आयुष्यमान योजना का जिक्र करते हुए कहा कि आज गरीब के लिए सबसे बेहतर योजना है। स्वच्छ भारत मिशन से मोदी जी ने गांधी जी को याद किया। सरकार पटेल को याद करते हुए मूर्ति बनाई। बीजेपी सरकार ने हर जाति हर धर्म का ख्याल रखा है। वह बोले, आज जाटव समाज के लोग इस कार्यक्रम में आये है। इस कार्यक्रम के बाद अभी 6 जातियों के लोगो के लिये और कार्यक्रम होगा।श् गांधी जी को लेकर भाजपा 1 से 15 दिसंबर तक कार्यक्रम चलाएगी।

अनुसूचित मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष एवं मलीहाबाद सांसद कौशल किशोर भी इस सम्मेलन में रहे। एक सज्जन ने अपना बंगला खाली किया टोटी तक उखाड़ ले गए, अखिलेश का नाम लिए बगैर निशाना साधा। पिछले दिनों कुछ निजी चैनलों द्वार किए गए सर्वे में महागठबंधन को बीजेपी के बड़ी चुनौती बताया गया था। इसी के बाद से बीजेपी थिंकटांक इसकी काठ ढूंढ़ने में जुट गया है। लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा चुनाव 2017 में ठश्रच् ने मोदी लहर और बाद में बीजेपी वेव के चलते बीएसपी प्रमुख मायावती के परंपरागत दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल कि थी। लोकसभा चुनाव 2014 में जहां बीजेपी के 71 सांसद विजयी हुए थे वहीं विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी 312 सीटों पर विजय पाने में सफलता हासिल की थी।

पिछले दो दशकों से, पहले कांशीराम ने दलित वोटबैंक को अपना बनाया और उसके बाद मायावती के बीएसपी की कमान संभालने के बाद भी दलित वोटबैंक बीएसपी के साथ निष्ठा बनाए हुए है। उत्तर प्रदेश में कुल वोटबैंक का लगभग 20 प्रतिशत दलितों का वोटबैंक है. ऐसे में किसी भी दल के लिए दलितों के वोटबैंक का अपने पाले में करना बहुत जरूरी हो जाता है। दलितों को लुभाने के लिए बीजेपी कि ये रणनीति कितनी कामयाब होगी ये तो वक्त ही बताएगा। बदलितों का यह सम्मेलन 30 नवंबर तक चलेगा। इसमें पासी समाज., धनुक, कोरी और अन्य उप जतियों का भी सम्मेलन होगा।

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