लखनऊ :बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड(जदयू)-बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चलने की अटकलों के बीच नितीश कुमार की पार्टी ने 2019 के लिहाज से बड़ा दांव चल दिया है. रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में नितीश 25 सीट और बीजेपी 15 सीटों पर लड़ेगी . इसके साथ ही पार्टी ने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार ही बिहार में एनडीए का चेहरा होंगे और जिस तरह दिल्ली में बीजेपी ‘बड़े भाई’ की भूमिका में है, उसी तरह बिहार में जदयू की भूमिका होगी.यहीं से बड़ा सवाल उठ रहा है कि आम चुनावों के लिहाज से क्या बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की ‘डील’ हो गई है? लेकिन बीजेपी की रहस्यमयी ‘चुप्पी’ कुछ और ही इशारा करती है. दरअसल 2014 के लोकसभा चुनावों में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने अकेले 22 सीटें जीती थीं. उसकी सहयोगीरामबिलास पासवान की लोजपा ने छह और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने 3 सीटें जीती थीं. इस तरह एनडीए को कुल 31 सीटें मिली थीं.
वहीं जदयू को केवल दो, राजद को चार, कांग्रेस को दो और राकांपा को एक सीट मिली थी. पिछली बार इन सभी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. उस वक्त नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो चुके थे. 2015 में एनडीए कैंप में वापसी के बाद बिहार में नीतीश कुमार को क्या 25 सीटें देने पर बीजेपी राजी हो जाएगी? इस वक्त यही सबसे बड़ा सवाल है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिर लोजपा और रालोसपा का क्या होगा? क्या बीजेपी अपने खाते से उनको सीटें देगी? फिर बीजेपी के लिए क्या बचेगा?