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बसपा सुप्रीमो पर मेनका गांधी का हमला, बोली- बिना पैसे लिए अपनी पार्टी का टिकट नहीं देती, जो अपने लोगों को नहीं बख्शती, वो देश को कैसे बख्शेंगी

सुल्तानपुर : भाजपा नेता मेनका गांधी ने बुधवार को बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बिना पैसे लिए अपनी पार्टी का टिकट नहीं देती हैं. केन्द्रीय मंत्री मेनका सुल्तानपुर से भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी हैं. उन्होंने कहा कि मायावती जब अपनी पार्टी के लोगों को नहीं बख्शती हैं तो देश-प्रदेश को क्या बख्शेंगीं. बिना ‘नोट’ के उनका गुजारा नहीं होता. वह अपनी पार्टी का टिकट भी बिना पैसे लिए नहीं देतीं. मायावती टिकट की सौदागर हैं. भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी ने धम्मौर बाजार में एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मायावती किसी की नहीं हैं. उनका टिकट किसी को बिना नोटों के नहीं मिलता.मेनका गांधी ने कहा, ‘सब लोग जानते हैं कि मायावती टिकट बेचती हैं. ये तो उनकी पार्टी के लोग गर्व से बोलते हैं. उनके 77 घर हैं. उनके रहने वाले भी गर्व से बोलते हैं कि हमारी मायावती जी या तो हीरो में लेती हैं या तो पैसों में लेती हैं, लेकिन लेती हैं 15 करोड़ रुपए. कोई मुफ्त में टिकट नहीं दिया जाता. उन्होंने टिकट इस तरह 15 करोड़ में बेचे हैं. अब मैं पूछती हूं बंदूकधारी लोगों से आपके पास 15 करोड़ रुपये देने के लिए कहां से आए? अब इन्होंने दे दिया है और ये कहां कहां से बनाएंगे 15-20 करोड़ रुपये, आपकी जेबों से.’बता दें, सुल्तानपुर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की लोकसभा प्रत्याशी मेनका गांधी ने शनिवार को कहा था कि उनके पति संजय गांधी का सुल्तानपुर-अमेठी से पुराना लगाव था और उन्होंने अपने पति के साथ ही सुल्तानपुर से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था.

भावुक अंदाज में केंद्रीय मंत्री मेनका ने कहा, ‘जब मैं विधवा हुई तो मेरा बेटा 100 दिन का था. उस समय मैंने अपने को बहुत अकेला महसूस करते हुए भगवान के ऊपर सब कुछ छोड़ दिया. आज मैं जो इतनी भारी कार्यकर्ताओं की सेना देख रही हूं और जो उनमें उत्साह दिखाई पड़ रहा है उससे हम चुनाव जीतेंगे.’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘आपके उत्साह एवं लगन से हम चुनाव जीतेंगे. अपने होने वाले सांसद के बारे में भी आपको जानना जरूरी है. मैं पीलीभीत से सात बार क्यों चुनाव जीती? एक-एक इंसान को यह मालूम है कि कोई भी इंसान मदद के लिए आया तो वह खाली हाथ नहीं लौटा. सुल्तानपुर में अपने बेटे वरुण को यहां प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा. वरुण ने भी सुल्तानपुर के लिए बहुत कुछ किया. वह तो प्रत्येक महीने का अपना वेतन भी गरीबों के लिए खर्च करता रहा, जो मैं नहीं कर सकी.’

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