अशाेक यादव, लखनऊ। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को धार देने के लिए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बुधवार को पहली बार पूर्वांचल पहुंचे। वाराणसी और गाजीपुर में किसानों से मुलाकात के बाद बलिया में सिकंदरपुर के चेतन किशोर मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित किसान मजदूर महापंचायत में केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला।
राकेश टिकैत ने ऐलान किया कि 13 मार्च को वह बंगाल जाएंगे और किसानों से मिलेंगे। बिना किसी का नाम लिए टिकैत ने कहा कि दिल्ली में लुटेरों का आखिरी बादशाह बैठा है, इसे हटाना पड़ेगा।
टिकैत ने कहा कि किसानों को सरकारें बांटने का काम कर रही हैं। किसान आंदोलन को कभी पंजाब, हरियाणा तो कभी खालिस्तान का आंदोलन बताया गया। आज किसान आंदोलन किसी एक झंडे का नहीं रहा। यह सबका आंदोलन बन गया है। इसीलिए हम टूटे नहीं। आज राजनीतिक पार्टियां भी किसान पंचायत के नाम पर आयोजन करती हैं।
कहा कि 2021 किसान आंदोलन के नाम रहेगा। यदि किसान नहीं चेते तो सबकुछ छिन जाएगा। तीनों कृषि कानून जमीन छिनने का कानून है। 12 दौर की वार्ता में हमारी कोई बात नहीं मानी गई। किसान फसल उजाड़ रहे हैं। हम मना कर रहे हैं। हर जगह से किसान आंदोलन के लिए निकल रहे हैं।
सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बना रही, जबकि दुनिया के दूसरे देश एमएसपी का कानून बना रहे हैं। यूपी के सीएम ने कहा था कि एमएसपी पर खरीद होगी। मगर नहीं हुआ। यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। रेलवे को बंद कर अडानी, अम्बानी को बेचने का कुचक्र चल रहा है।
इसलिए इस आंदोलन को और तेज करना पड़ेगा। पूर्वांचल से भी आंदोलन की शुरूआत हुई है। बलिया के किसानों का आह्वान किया कि फसल की कटाई-मड़ाई कर लो, फिर ट्रैक्टर से दिल्ली की ओर चलना पड़ेगा।
टिकैत ने कहा कि 13 को पश्चिम बंगाल भी जा रहा हूं। प्रयास किया जा रहा है कि बीज खाद के थाने खुलेंगे। सरकार की मंशा है कि भूख के आधार पर कीमतें तय होंगी। ये चाहते हैं कि छोटे बाजार, छोटे दुकान बंद हों। छोटे रोजगार खत्म हो जाएंगे। यह लड़ाई दुनिया भर में लड़नी पड़ेगी।
तभी यह पीछे हटने को मजबूर होंगे। यह लड़ाई खाली तीन बिल की नहीं। यह किसानों के आत्मसम्मान की है। अगर इस आंदोलन में किसान हारा तो देश का मजदूर व नौजवान भी हारेगा। इस देश में बड़े उद्योगपति का गोदाम पहले बना और कानून बाद में बना।
सामने जुटी भीड़ का आह्वान किया कि एक गांव, एक ट्रैक्टर पन्द्रह आदमी और दस दिन चाहिए। कृषि कानून वापस हो जाएगा। इस अवसर पर राष्ट्रीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व एमएलसी रामाशीष राय, विजय बहादुर सिंह, पुरूषोत्तम शर्मा, भीमनाथ राय, शिवनारायण यादव, अजीत कुमार राय, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व डा. मदन राय आदि थे। अध्यक्षता अजीत राय व संचालन श्रीराम चौधरी ने किया।
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने कहा कि बलिया क्रांति की धरती है। यहां से उठी आवाज ने बड़ी से बड़ी सत्ता को झुकाने का काम किया है। दिल्ली से जिस क्रांति का सूत्रपात हुआ, उसको बलिया में धार मिलेगी। कहा कि तीनों कृषि बिल वापस होने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। युद्धवीर ने कहा कि किसानों को बदनाम किया जा रहा है।
कहा कि आंदोलन पर बैठे किसानों के खाने-पीने पर टिप्पणी की जा रही है। सवाल किया कि किसान जब पनीर और मटर पैदा करेगा तो वह मटर पनीर नहीं खाएगा तो कौन खाएगा। कहा कि दिल्ली की गद्दी पर बैठे मोदी रावण और दुर्योधन के बाद तीसरे अहंकारी हैं। अहंकार के कारण उनको गद्दी छोड़नी पड़ेगी।
राष्ट्रीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि वर्तमान में देश में कारपोरेट घरानों के मुखौटे के रूप में शासन किया जा रहा है। कहा कि पूर्वांचल के किसान देश में सर्वाधिक परेशान हैं। यह किसान आंदोलन यहां के किसानों की भी बदहाली दूर करेगा।