बरसात के दिनों में अनेक संक्रामक बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में नमी की वजह से कान में फंगल इंफेक्शन (ऑटोमाइकोसिस) होने का खतरा बढ़ जाता है। कान में इस रोग के होने पर संक्रमण से एस्पर्गिलस व कैंडिडा नामक जीवाणु होते हैं, जो वातावरण में मौजूद नमी के कारण ज्यादा तेजी से फैलते हैं।
ऐसे में लोगों द्वारा लापरवाही करने पर कान के पर्दे प्रभावित हो सकते हैं। यहां तक की कान के पर्दे में छेद भी हो जाता है। जिला अस्पताल में वर्तमान मानसून सीजन में रोजाना लगभग 25 से 30 लोगों में यह समस्या पाई जा रही है। उधर निजी अस्पतालों में भी कमोबेस इसी औसत में कान से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं।
ईएनटी व कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. गौरव गर्ग का कहना है कि बरसात के दिनों में फंगल इंफेक्शन होने की संभावना ज्यादा रहती है। लोगों को नहाते समय कान में पानी न जाने देने और समय-समय पर कान की सफाई कराते रहने के लिए कहा जा रहा है। वहीं जिला अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डा. लक्ष्मीकांत सक्सेना ने बताया कि नमी के कारण कान में गंदगी की परत जमती जाती है। लोगों को इस रोग को गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि पर्दें की सर्जरी कराने की नौबत न आए।
इस रोग की पहचान
फंगल इंफेक्शन होने पर कान में लगातार भारीपन की समस्या बनी रहती है। दर्द व खुजली के साथ कान से मवाद का रिसाव भी होने लगता है। यह रोग होने पर लोगों को अक्सर कान बंद होने का आभास होने लगता है। ऐसे में लापरवाही बरतने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और कान के पर्दे में छेद हो जाता है।
कैसे हो रोग का निदान
इस रोग के होने पर मरीजों को सबसे पहले विशेषज्ञ चिकित्सकों से संपर्क कर जांच कराना चाहिए। बीमारी के होने पर चिकित्सक कान की मशीनों द्वारा सफाई कर उपचार किया जा रहा है।