नई दिल्ली। आने वाले वक्त में देश के बैंकिंग सिस्टम में बदलाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, नीति आयोग ने डिजिटल बैंक की सिफारिश की है। प्रस्तावित टेक्नोलॉजी आधारित डिजिटल बैंक में फिजिकल ब्रांच नहीं होंगे। इसमें ग्राहक सामान्य बैंकों की तरह ट्रांजैक्शन आदि प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे लेकिन ये सबकुछ डिजिटल माध्यम से हो जाएगा। मतलब ये कि आपको ब्रांच जाने की टेंशन नहीं रहेगी।
क्या कहा नीति आयोग ने: न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक नीति आयोग के प्रस्ताव में डिजिटल बैंक लाइसेंस और नियामकीय व्यवस्था को लेकर रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
डिजिटल बैंक उसी रूप में है, जैसा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 (बी आर अधिनियम) में परिभाषित किया गया है। नीति आयोग के प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘दूसरे शब्दों में, ये संस्थाएं जमा प्राप्त करेंगी, ऋण देंगी और उन सभी सेवाओं की पेशकश करेंगी जिसका प्रावधान बैंकिंग नियमन अधिनियम में है। हालांकि, डिजिटल बैंक मुख्य रूप से अपनी सेवाओं की पेशकश करने के लिए फिजिकल ब्रांच के बजाय इंटरनेट और अन्य संबंधित विकल्पों का उपयोग करेगा।’’
यूपीआई ने बढ़ाई उम्मीदें: नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे खासकर यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ने साबित किया है कि कैसे डिजिटल तरीके से चीजों को सुगम बनाया जा सकता है और पहुंच बढ़ाई जा सकती है। यूपीआई के जरिये लेन-देन मूल्य के हिसाब से चार लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। वहीं आधार सत्यापन 55 लाख करोड़ को पार कर गया है।
डिजिटल करेंसी पर भी मंथन: केंद्रीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी पर मंथन कर रहा है। वहीं, केंद्र सरकार भी शीतकालिन सत्र में डिजिटल करेंसी की रूपरेखा तैयार कर सकती है। इसे क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। ये देखना अहम होगा कि डिजिटल करेंसी कैसे काम करती है। बता दें कि सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के मूड में दिख रही है। इसके लिए भी विधेयक आने वाला है।