नई दिल्ली: कोलकाता पुलिस कमिश्नर को सारदा घोटाला के सिलसिले में मामले से जुड़े स्थान से अलग जगह पर जांच में शामिल होने के सीबीआई (CBI) के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘शिलांग जाएं. ठंडी जगह है. दोनों पक्षों का चित्त वहां शांत रहेगा.’ यह टिप्पणी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने आदेश सुनाने के बाद की. न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कुमार जांच के लिये सीबीआई के समक्ष उपस्थित होंगे. पीठ के अपना आदेश लिखाने का काम लगभग पूरा करने के बाद अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने तटस्थ स्थान का मुद्दा उठाया.
पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे.पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘अनावश्यक विवाद से बचने के लिए हम पुलिस आयुक्त को जो भी तारीख तय की जाएगी उसके अनुसार शिलांग में जांच एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देते हैं.’ सुनवाई के दौरान सीबीआई ने रविवार की घटना का हवाला देकर आरोप लगाया कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. रविवार को पश्चिम बंगाल पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसी के करीब 25 कर्मियों को हिरासत में ले लिया था. सीबीआई कर्मी सारदा घोटाला मामले में पूछताछ के लिये कुमार के आवास पर गए थे. सीबीआई ने आरोप लगाया कि कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की और एजेंसी को कुछ दस्तावेज सौंपे, जिनमें से कुछ के साथ छेड़छाड़ की गई थी.
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि उसके संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव के घर को राज्य पुलिस ने घेर लिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं. बनर्जी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शाम को अपना धरना खत्म किया. धरने के दौरान ममता बनर्जी को सभी विपक्षी दलों का साथ मिला. ममता बनर्जी ने सीबीआई की इस कार्रवाई को मोदी सरकार का राजनीतिक साजिश करार दिया. ममता बनर्जी ने मंगलवार को धरना खत्म करते हुए कहा कि वह मोदी सरकार के खात्मा होने तक लड़ाई लड़ती रहेगी. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी ‘नैतिक जीत’ बताया. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी इसे सीबीआई की जात बताया है.