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बंगाल में हड़ताली डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात नहीं मानी, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी डॉक्टरों ने इस मुद्दे पर शुरू किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में हड़ताली डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात नहीं सुनी है. ममता बनर्जी ने कल दोपहर तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन डॉक्टर अपने रुख पर कायम हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली में भी डॉक्टरों ने इस मुद्दे पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है और हड़ताल का ऐलान किया है. आज डॉक्टरों की हड़ताल का तीसरा दिन है. बंगाल के डॉक्टरों ने राज्यपाल से मिलकर ममता के उस बयान की भी निंदा की है, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं हड़ताल पर गए डॉक्टरों की निंदा करती हूं. पुलिसवाले ड्‌यूटी करते हुए शहीद हो जाते हैं लेकिन पुलिस हड़ताल पर नहीं जाती.’

मंगलवार को पहले जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर गए थे, बाद में सीनियर डॉक्टर्स भी हड़ताल में शामिल हो गए थे. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हैं. यहां तक कि इमरजेंसी सेवा भी बाधित हैं. कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में साथी डॉक्टरों की पिटाई के बाद से डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. बता दें कि एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों से डॉक्टर की पिटाई कर दी थी. महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को लेकर आज हड़ताल की. अधिकारियों ने बताया, ‘हम ओपीडी, वार्ड और एकेडमिक सर्विस को आज सुबह से शामतक बंद कर रहे हैं. इमरजेंसी सेवाएं बाधित नहीं की जाएंगी.’ वहीं पश्चिम बंगाल के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी ने भी हड़ताल का ऐलान किया है. एमएआरडी सिओन हॉस्पिटल मुंबई के अध्यक्ष प्रशांत चौधरी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में एक डॉक्टर के साथ मारपीट की गई थी. अगर इस तरह के हमले होते हैं तो यह लॉ और ऑर्डर का मामला है.

इसलिए हम आज एक साइलेंट प्रदर्शन कर रहे हैं.’ हैदराबाद में भी निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टरों ने बंगाल में डॉक्टर के साथ हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया. दिल्ली में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ एम्स ने आज हड़ताल का ऐलान किया है जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक मरीज के रिश्तेदार ने बताया, ‘मेरी मां का डायलिसिस आज होना था लेकिन हमें यहां से जाने और कहीं और इलाज कराने के लिए कहा गया.’ दिल्ली में आज निजी और सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए एक दिन का काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है. शहर के कई चिकित्सा संस्थाओं के अनुसार कई अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर ओपीडी, नियमित ओटी सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी. एम्स और सफदरजंग अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपने सिर पर पट्टियां बांधकर काम किया था और कोलकाता में हिंसा की घटना के विरोध में 14 जून को ओपीडी समेत सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को बंद रखने का आह्वान किया था. कई डॉक्टरों ने जंतर मंतर पर भी प्रदर्शन किया था.

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