गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गोरखपुर बीआरडी अस्पताल का निरीक्षण कर हादसे की कारणों को बारीकी से जानने की कोशिश की। मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी थे। इस मौके पर योगी ने निजी प्रैक्टिस के आरोप में इंसेफेलाइटिस वॉर्ड प्रभारी डॉ. कफील को हटा दिया, कफील की जगह डॉक्टर भूपेंद्र शर्मा को नया प्रभारी नियुक्त किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, डॉ. कफील खान पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने का आरोप है. वैसे डॉ. कफील दो साल पहले ही संविदा पर तैनात हुए थे. 6 माह पहले ही वह असिस्टेंट प्रोफेसर बने थे, जिसके बाद उन्हें इंचार्ज बनाया गया था.
दिलचस्प बात यह है कि गुरुवार रात को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चे तड़प-तड़प कर मर रहे थे, वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में डॉ. कफील को कुछ बच्चों के लिए ‘फरिश्ता’ बताया गया था. इन रिपोर्ट में काफिल खुद की परवाह नहीं करते हुए बच्चों को जिंदगी देने के लिए पूरी रात जूझते रहे.docter कफील ने ही अपने सभी परचित ऑक्सीजन वितरकों को फोन किया था। यही नहीं कई वितरकों ने उनसे नकद पेमेंट पर ऑक्सीजन सिलेंडर देने को कहा जिस पर उन्होंने अपने एटीएम से पैसे देकर ऑक्सीजन का इंतजाम कर बच्चों को बचाने की कोशिस की।
ये डॉक्टर कफील ही थे जिसकी बजह से रात में ऑक्सीजन के चलते स्थिति उतनी अधिक भयावह नहीं हुयी जितनी की दूसरे दिन हो गयी जब ऑक्सीजन की पूरी तरह से किल्लत हो गयी। इस संबंध में डॉक्टर कफील ने ही सभी बड़े अधिकारिआईं को घटना के बारे में जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री ने डॉक्टर कफील को सस्पेंड कर एक कर्तव्यनिष्ठ और जुझारू डॉक्टर को सजा क्यों दी ये समझ के परे है।