नई दिल्ली: एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत ने सर्वाधिक विकास दर हासिल की थी, जिसे सरकार की वेबसाइट पर जारी किया गया. मगर अब फजीहत की वजह से केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट से इसे हटा लिया गया है. देश के सकल आर्थिक उत्पाद (जीडीपी) की पीछे की श्रृंखला के आंकड़ों को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ‘ये पक्के अनुमान नहीं है’ तथा आधिकारिक आंकड़े बाद में जारी किए जाएंगे. गौरतलब है कि वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों के विषय में गठित एक समिति द्वारा जीडीपी आकलन के नए आधार के अनुसार तैयार पिछले वर्षों की जीडीपी श्रृंखला पर एक ताजा रपट यह दर्शाती है कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार दौर में यानी मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा सरकार की तुलना में बेहतर थी. इस रपट के अनुसार 2006-07 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 10.08 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी. यह 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के बाद की उच्चतम वृद्धि दर है.
इस रपट पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि संप्रग सरकार ने किसी एक दशक में अर्थव्यवस्था को सबसे तीव्र वृद्धि के स्तर पर पहुंचाया था और 14 करोड़ लोगों को गरीबी के स्तर से ऊपर उठाया था. उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘सत्य की जीत हुई है. जीडीपी की पिछली श्रृंखला की गणना ने साबित किया है कि आर्थिक वृद्धि की दृष्टि से संप्रग का 2004-14 का कार्यकाल सर्वोत्तम था.’
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालाय ने एक बयान में आज कहा कि जीडीपी की वर्तमान श्रृंखला की पीछे की कड़ियों को बनाने संबंधी इस रपट में प्रस्तुत अनुमान कोई ‘आधिकारिक अनुमान’ नहीं हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) ने भी कहा है कि जीडीपी की नयी श्रृंखला की पिछली कड़ियों को ढालने का ‘काम चल रहा है’ और अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है. वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों पर समिति के अध्यक्ष सुदीप्तो मुंडले एनएससी के कार्यवाहक चेयरमैन और चौदहवें वित्त आयोग के सदस्य रह चुके हैं. इस समिति का गठन पिछले साल अप्रैल में किया गया था ताकि वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों के आधार को आधुनिक बनाया जा सके. जीडीपी की नयी श्रृंखला की गणना के लिए वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है