हरियाणा: बहुचर्चित एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजेएल) प्लॉट आवंटन मामले और मानेसर घोटाले की सुनवाई के लिए पूर्व सीएम हुड्डा पंचकूला की सीबीआई कोर्ट पहुंच गए हैं। गत 5 मार्च को सीबीआई कोर्ट ने तीन अप्रैल तक बचाव पक्ष द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज देने के निर्देश दिए थे। मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा को पेशी से छूट मिली हुई है।
ये है मामला
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के स्वामित्व वाली कंपनी एजेएल को पंचकूला में प्लॉट आवंटन में अनियमितता बरते जाने का आरोप है। यह प्लॉट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में दोबारा आवंटित किया गया था। हुड्डा मुख्यमंत्री होने के नाते उस समय हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे। वहीं, मोती लाल वोरा एजेएल के चेयरमैन थे। हुड्डा और वोरा के खिलाफ अदालत में 1 दिसंबर 2018 को चार्जशीट दाखिल की गई थी। आरोप है कि हुड्डा ने सीएम रहते हुए एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट अलॉट करवाया। मामले में सतर्कता विभाग ने मई 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर केस दर्ज किया था।
यह मामला हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर दर्ज हुआ था। यह गड़बड़ी तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई थी इसलिए उनके खिलाफ यह मामला दर्ज हुआ था। हुडा पर करीब 62 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। 24 अगस्त, 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने अलॉट कराया। कंपनी को इस पर दस माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था लेकिन, कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर, 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट रद्द करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया। 26 जुलाई, 1995 को मुख्य प्रशासक हुडा ने एस्टेट ऑफिसर के आदेश के खिलाफ कंपनी की अपील खारिज कर दी।
14 मार्च, 1998 को कंपनी की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट की अलॉटमेंट बहाली के लिए अपील की। 14 मई, 2005 को चेयरमैन हुडा ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इनकार कर दिया। 18 अगस्त, 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त, 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर लिए। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया। सीए ने भी पुरानी रेट पर प्लॉट अलॉट करने के आदेश दिए।