अशाेक यादव, लखनऊ। केंद्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य व आउटरीच एंड कोऑर्डिनेशन कमेटी उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने बिना चर्चा के संसद में पारित कराये जा रहे विधेयकों पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता को सही ठहराया और कहा कि ये बातें हम सबके के लिए भी चिंता का विषय है।
मालूम हो कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यह टिप्पणी की है कि संसद सभी विरोधी दलों और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले करोड़ों भारत वासियों की अभिव्यक्ति को साझा करती है।
संसद में जो कानून बिना चर्चा के, बिना बहस के, बिना पक्ष-विपक्ष के भावों को और विचारों को जाने और विपक्ष की मांग के अनुसार ‘प्रवर समिति’ को बिना बिल भेजे जिस ढंग से पारित हो रहे हैं वह लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं हैं व कहीं से भी उचित नहीं है, ये बातें हम सबके भी चिन्ता का विषय है।
श्री तिवारी ने कहा कि सरकार इस संदेश को समझे क्योंकि कानून बनाना यदि संसद का काम है तो कानून को परिभाषित करना न्याय के मंदिर का अधिकार है।
श्री तिवारी ने कहा है कि अफगानिस्तान में आज जो हो रहा है, उसको देखते हुये पिछले एक अर्द्धशतक से जो अफगानिस्तान का इतिहास जानते हैं उस हर भारतीय के लिये यह चिन्ता का विषय है।
यूं तो यह पूरी तरह से एक देश का आन्तरिक सत्ता संघर्ष है पर इतिहास साक्षी है और वर्तमान में जिस तरह चीन और पाकिस्तान ने खुलकर तालिबान का साथ दिया है वह काश्मीर की शांति बहाली के लिये खतरे की घंटी है। कारण यह है कि इन तीनो देशों की सीमायें भारत के सर्वाधिक संवेदनशील राज्य लद््दाख और काश्मीर की सीमा से लगती हैं।