अशाेक यादव, लखनऊ। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत देश भर में अब तक खोले गए 738 प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों में से 22 केंद्र पिछले एक साल में बंद हो गए हैं। जबकि कोरोना के कारण ट्रेनिंग का काम प्रभावित होने से कई और केंद्रों के बंद होने का खतरा पैदा हो गया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की शुरुआत 2015 में की गई थी। इसका मकसद देश के हजारों अकुशल युवाओं तथा अर्द्ध कुशल कारीगरों को कौशल विकास की औपचारिक ट्रेनिंग और प्रमाणपत्र देकर उन्हें नौकरी एवं स्व रोजगार के योग्य बनाना था।
इसके तहत देश के तमाम जिलों में निजी प्रशिक्षण भागीदारों (ट्रेनिंग पार्टनर्स अथवा टीपी) की मदद से 812 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) स्थापित किए जाने का लक्ष्य है। जिसमें अब तक 738 केंद्रों की स्थापना हो चुकी है। जबकि 74 केंद्र स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा पहले स्थापित 22 पीएमकेके बंद हो चुके हैं।
सरकार ने संसदीय समिति को पीएमकेके बंद होने की जो प्रमुख वजहें बताई हैं उनमें प्राइवेट ट्रेनिंग पार्टनर को केंद्र के लिए उचित जगह न मिलना, मुंबई जैसे महानगरों में जगह का अत्यधिक किराया होना, टीपी की वित्तीय स्थिति खराब होना जैसी वजहें शामिल हैं। लिहाजा अब सरकार इन सरेंडर किए गए पीएमकेके को अन्य जिलों में शिफ्ट करने पर विचार कर रही है।
इस समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में दो बार संशोधन किया जा चुका है। पहली बार 2016 में पीएमवीकेवाई 2.0 के जरिये और फिर इस वर्ष जनवरी में पीएमवीकेवाई 3.0 के लाकर। नवीनतम योजना में पीएमकेके स्थापित करने के इच्छुक ट्रेनिंग पार्टनर के चयन में ज्यादा सावधानी बरतने का प्रस्ताव किया गया है। अब उन्हीं टीपी को पीएमकेके खोलने की अनुमति मिलेगी जिनके पास अपनी जगह हो और वित्तीय स्थिति भी मजबूत हो।
यही नहीं, बेहतर प्रदर्शन करने वाले टीपी को ज्यादा पीएमकेके खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रदर्शन का आकलन इस आधार पर होगा कि केंद्र से प्रशिक्षित युवाओं में से कितने प्रतिशत नौकरी या स्वरोजगार से जुड़े। प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की तरफ से वित्तीय मदद दी जाती है। अब तक 47 टीपी को 536 पीएमकेके की स्थापना के लिए 243 करोड़ रुपये की मदद दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक 1.07 करोड़ लोगों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें अल्पकालिक प्रशिक्षण पाने वाले 46.27 लाख लोगों में से 36.04 लाख लोगों को दक्षता प्रमाणपत्र दिया गया। यही नहीं, इनमें से 18.95 लाख लोगों को नौकरी भी मिल गई।
इसके अलावा योजना के तहत 60.68 लाख ऐसे लोगों ने ट्रेनिंग के साथ सर्टिफिकेट प्राप्त किया जो पहले से किसी काम को कर रहे थे। मगर उसका कोई प्रमाणपत्र उनके पास नहीं था। नवीनतम पीएमवीकेवाई 3.0 में 949 करोड़ रुपये के खर्च से 8 लाख लोगों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है।