नई दिल्ली: यूं तो फिल्मों में पाकिस्तान के खिलाफ सनी देओल काफी मुखर रहते हैं, मगर असल जिंदगी में ऐसा नहीं हैं. पाकिस्तान पर हमले का कोई भी मौका न चूकने वाले दूसरे नेताओं से विपरीत सनी देओल जब बोलते हैं तो बहुत सतर्क होकर. वह कहते हैं,” फिल्मों का मामला अलग होता है, और असल जिंदगी का मामला अग.यह रील नहीं, रियल लाइफ है. मैने हमेशा फिल्मों में सकारात्मक भूमिकाएं निभाई हैं, मेरी भावनाएं भी उसी तरह सकारात्मक हैं.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में उन्होंने कहा-पिछले पांच वर्षों में, मोदी जी ने बड़े कार्य किए हैं.
मैं चाहता हूं कि वह इसी तरह अच्छे काम करते रहें. राष्ट्र को एकजुट रखते हुए तरक्की की राह पर ले जाना ही एक अच्छे नेता का परिचायक है. तो, क्या वह अन्य नेताओं से कुछ अलग हैं? अन्य नेताओं से विपरीत वह स्वीकार करते हैं कि वह राजनीति में नए हैं. उन्होंने कहा- मुझे बालाकोट हमलों या पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों जैसे मद्दों के बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं है. मैं लोगों की सेवा करने के लिए यहां हूं. अगर मैं जीतता हूं तो शायद मेरी राय होगी, अभी नीहं. उन्होंने स्वीकार किया. 62 वर्षीय सनी देओल को बीजेपी ने गुरुदासपुर सीट कांग्रेस से वापस पाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा है.
सोमवार को भीषण गर्मी में, उन्होंने लगातार तीसरे दिन चार से पांच रोड शो किए. यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी लोकप्रियता को भुना रहे हैं या फिर मोदी लहर की सवारी कर रहरे हैं. उन्होंने सरल जवाब दिया- मैं कुछ भी नहीं करना चाहता, मैं सिर्फ अपने देश के लिए काम करना चाहता हूं. अगर मैं जीतता हूं, तो मैं अच्छा काम करने की कोशिश करूंगा. लोग अक्सर कहते हैं कि राजनेता कभी कुछ नहीं करते हैं. मैने सोचा कि क्यों नहीं, इसलिए मैने राजनीति मे प्रवेश किया. यदि आपके सिद्धांत अच्छे हैं तो आप हर चीज हासिल कर सकते हैं. सनी देओल का रोड शो जैसी ही गुरुदासपुर की धूल भरी सड़कों से गुजरता है तो लोग उनकी झलक पाने के लिए बेताब हो उठते हैं.
सड़क किनारे मौजूद एक लड़की ने कहा- मैं सनी देओल को देखने आई हं, वह हाल में बीजेपी में शामिल हुए हैं. लड़की की दादी भी अभिनेता की प्रशंसक हैं. वह कहतीं हैं- हम उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे. एक गांव से दूसरे गांव तक रोड शो पांच घंटे तक चला.हर गांव से गुजरते हुए उनके रोड शो का आकार बढ़ता गया. अपनी एसयूवी के ऊपर बैठकर वह भीड़ की तरफ हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करते हैं. लोगों को ऑटोग्राफ देते हैं, मगर कुछ खास कहते नहीं. उनका मिशन स्पष्ट है- नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना. उन्होंने कहा-मैं यहां जनता से जुड़ने आया हूं. अगर मैं जीता तो यहां की जनता के लिए काम करूंगा. मेरे पिता वाजपेयी जी से जुड़े रहे, मैने मोदी जी को चुना.