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प्रदेश में भारी बारिश के चलते जीवन अस्त-व्यस्त, 12 बच्चों समेत 30 की मौत

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रदेश में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 40 जिलों में करीब 24 घंटे से हो रही बरसात और तेज हवाओं की वजह से हुए हादसों में 12 बच्चों समेत 30 लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगह सड़कें कट गई हैं, हवाई यातायात और रेल मार्ग भी बाधित हुए हैं। राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में भारी जलभराव और बिजली कटौती से लोग जूझ रहे हैं।

लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, जौनपुर, सुल्तानपुर, भदोही, गाजीपुर, चित्रकूट, बहराइच, बांदा, देवरिया, इटावा, फतेहपुर समेत 40 जिलों में बुधवार से ही बरसात हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार इस सीजन में बरसात ने पांच साल का रिकार्ड तोड़ दिया है।

इस दौरान 7.6 मिमी की औसत बरसात से करीब पांच गुना ज्यादा 33.1 मिमी बारिश अब तक हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में चक्रवात से बिगड़े इस मौसम के कारण आगामी 40 घंटे तक बरसात की आशंका जताते हुए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।

बारिश के कारण लखनऊ, प्रयागराज समेत अनेक शहरों में भारी जलभराव हो गया है। कई जगह सड़कें टूट गई हैं, रनवे पर पानी भर गया है। बहुत सारी ट्रेनें जहां की तहां रोक दी गई हैं और कुछ को डायवर्ट भी किया गया है।

बारिश के कारण हादसों में बड़ी संख्या में मौतें भी हुई हैं। खबर लिखे जाने तक लखनऊ में दो बच्चों की गड्‌ढ़े में डूबकर मौत हो गई। जौनपुर में कच्चा मकान गिरने से तीन लोगों की, फतेहपुर में तीन मासूमों सहित छह और बाराबंकी में चार मौतें हुई है। इसी तरह कौशांबी व अयाेध्या में दो-दो और अमेठी में दीवार गिरने से एक व्यक्ति की जान गई है।

बरेली में भी चार साल के बच्चे की मौत हुई है। बलिया में बारिश से दो बच्चों की तालाब में डूब कर और दीवार गिरने से एक की मौत हुई है। वहीं, सुल्तानपुर, सीतापुर, चित्रकूट, रायबरेली, बांदा और उन्नाव में भी एक-एक मौतें हुई हैं।

भारी बारिश के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाराबंकी में गुरुवार को अपना प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिया है। यहां उन्हें 82 करोड़ रुपये की लागत वाली 155 परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास करना था।

40 जिलों में भारी बरसात से लोग परेशान थे, लगातार मौतों की खबरें आ रही थीं और प्रदेश में आपदा प्रबंधन के अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे थे। कंट्रोल रूम के नंबर भी सिर्फ घनघना रहे थे। विशेष सचिव आपदा राहत रामकेवल सिर्फ इतना बता सके कि हर तरह की जानकारी केवल आपदा राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ही दे सकते हैं। लेकिन उनका मोबाइल डायवर्ट था और ऑफिस का फोन उठ नहीं रहा था।

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